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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org तो क्या यह प्रत्यक्ष कामदेव है ? नहीं, क्योंकि वह अशरीरी है, इसका शरीर दिखाई दे रहा है उसके साथ रति देवी है, यह अकेला है । तो क्या यह इन्द्र है ? नहीं, क्योंकि उसके हजार नेत्र हैं, इसके केवल दो नेत्र है उसके साथ शची है, यह अकेला है उसके हाथ में वज्र नामक प्रचण्ड अस्त्र है, यह निरस्त्र है उसका वाहन ऐरावत हाथी है, यह पैदल चलनेवाला है। - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तो क्या यह कोई विद्याधर है ? नही, क्योंकि वह विमान में बैठकर आकाश में विहार करता है, यह भूमि पर पैदल नंगे पाँव घूमता है । - तो क्या यह कुबेर है ? नही, क्योंकि वह खजाने का मालिक है, यह खजाने का त्यागी है वह भोगी है, यह वियोगी है, महायोगी है, विरक्त है । तो क्या यह सिंहासनासीन राजा नल है ? नहीं, क्योंकि उसके शरीर पर बहुत मूल्य अलंकार है- मस्तक पर राजमुकुट है, इसका शरीर अलंकारोंसे रहित होते हुए भी अतिशय सुन्दर है । इस प्रकार समस्त व्यक्तियोंके विकल्प निरस्त हो जानेके बाद प्रभु महावीर की समानताका उपमान ढूँढनेके लिए उस का ध्यान सृष्टि की ओर जाता है: क्षारो वारि निधिः कलकलुषचन्द्रो रविस्तापकृत् पर्जन्यश्चपलाश्रयो भ्रपटलादृश्य: सुवर्णाचलः । शून्य व्योम रसा द्विजिव्हविघृता स्वर्धामधेनुः पशुः काष्ठं कल्पतरूर्दषत्सुरमणिस्तत्केन साम्यं सताम् ? यद्यपि यह गम्भीर है, फिर भी समुद्र से इसकी तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि वह खारा है, इसी प्रकार चाँद में कलंक है, यह निष्कलंक है - सूर्य अपनी उष्णताके कारण प्राणियोंको सन्तप्त करता है, यह सन्ताप शान्त करता है - मेघ चपलाश्रय (बिजलीवाला), है, यह चपलताश्रय (चंचल लक्ष्मीवाला) नहीं है - सुमेरुपर्वत मेघमण्डलसे ११ For Private And Personal Use Only
SR No.008738
Book TitleSanshay Sab Door Bhaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages105
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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