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यवक :- “अच्छी बात है । इतना अभीष्ट उत्तम मत्रा पाने की खुशी में' आज में आपको दिल्ली की दक्षिणा देता हूँ।"
गर :- “दिल्ली क्या तेरे बाप की है ?" यवक :- “तो क्या स्वर्ग और वेकण्ठ आपके बापक हैं ?"
गर निरुत्तर हो गया । सभी सुनने वाले ठहाका मार कर हँस पड़े । सेठ ने बिना धर्मान्तरण किये ही कन्या विवाह दी । ऐसे लोभी गुरु से भला कोन बचना नहीं चाहगा ?
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