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रहा । दिन अस्त हुआ । वह आदमी बोलते-बोलते थक कर चुप हो गया। ज्ञानी ने प्रेम से भोजन कराया, उपहार दिया और जब वह बिदा होने लगा, तब अपने पुत्रा को साथ भेज दिया कि वह सुरक्षित रूप से उसे उसके घर पहुँचा आयें । क्षमा के कारण क्रोधी हमेशा के लिए संत बन गया । पारस पत्थर के संपर्क से लोहा भी सोना बन गया ।
ऐसी ही एक घटना गालिब के जीवन की है । मौलवी अमीमुद्दीन ने सुप्रसिद्ध शायर मिर्जा गालिब के विरुद्ध एक किताब लिखी। उसे देखकर किसी ने उनसे पूछा :- "हजरत ! आपने उस किताब का कुछ जवाब नहीं लिखा ?"
इस पर गालिब ने कहा :- “अगर कोई गधा तुम्हें लात मार तो क्या तुम भी उसे लात मारोगे ?'
जो समर्थ होता है- वीर होता है, वही क्षमा का परिचय दे सकता
समाज में रहने पर ही आपके सगुण कसौटी पर उतरंगे । एकान्त गफा में जहाँ क्रोध का अवसर ही नहीं आता वहाँ यह नहीं जाना जा सकता कि आप अक्रोधी हैं-शान्त हैं क्षमाशील हैं । व्यवहार ही वह दर्पण है, जिसमें आपका स्वभाव दिखाई देता है ।
जीभ चाहे जितना पी खाल, परन्तु वह चिकनी नहीं होती, उसी प्रकार ज्ञानी संसार में रहकर भी उसमें आसक्त नहीं होता । जल में कमल क समान अलिप्त रहता है । संयम और तप से वह अपनी आत्मा को पवित्र करता र
“संजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥"
अज्ञ अवस्था में बांधे गये कर्म सुज्ञ अवस्था में भोगे जाते हैं । “जब में सो जाउँ तब संगीत बन्द करवा देना” ऐसा आदेश त्रिपृष्ठ वासुदेव ने सेवक को दिया था; परन्तु सेवक भूल से इस आदेश का पालन नहीं कर पाया । क्रुद्ध होकर वासुदेव ने उसके कानों में सीसा डलवा दिया । फिर महावीर के भव में जब कानों में कीले ठोक जा रहे थे, तब पर्बभव में कृत कर्म का स्मरण करक प्रभु शान्त रहे । ज्ञान ने उन्हें क्षमाशील बना दिया था । सभी सगुणों का कारण सम्यक्त्व हे ।
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