________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सम्प्रदाय नहीं थे; इसलिए अलग-अलग आचार्यों की जरूरत भी नहीं थी। सभी उपाध्याय और साधु किसी एक ही आचार्य के अनुशासन में विचरण करते थे ।
रगट ही हम देखते हैं कि आज उस स्थिति का अभाव हो गया है।
(३) जहाँ तक दान का सवाल है, वह खूब हो रहा है । चन्दा माँगने वाले रसीद कट्टे लेकर घूमते रहते हैं। कुछ लगों ने तो चन्दे को धन्धे क. ही रूप में अपना लिया है । संस्थाओं के संचालकों से लोग पचास रूपयों में कट खरीद लेते हैं । फिर उन कट्टो पर हजारों रूपये प्राप्त करके अपनी जेब में डाल लेते हैं । इस प्रकार अपात्रों या कुपात्रों के पास धन चला जाता है । सुपात्रों को बहुत कम धन मिल पाता है ।
(४) आज उपदेश देना तो सब चाहते हैं; परन्तु सुनना कोई नहीं चाहना । उपदेश देने में गुरुता के गौरव का अनुभव होता है । "में अधिक समहादार हूँ . दूसरों का उपदेशक बनने की योग्यता रखता हूँ" - इस घमण्ड का पोषण होता है; परन्तु उपदेश सुनने से अपनी अज्ञता के बोध की बेदना होती है । दोस्तों को घर में चाय पिलाने की अपेक्षा होटल में ले जाकर पिलाना क्यों अधिक पसंद किया जाता है ? उसमें भी अपने धनवान होने के ममण्ड की पुष्टि होती है ।
(५) दूसरे धर्मों के देवों, गुरुओं और क्रियाकाण्डों की तुलना में जैन धर्म क दव, गुरु आदि अधिक श्रेष्ठ होने से सम्यक्त्व कायम है और मिथ्यात्वों का हृदय में प्रवेश नहीं हो पाता; परन्तु श्वेताम्बर, दिगम्बर, तीन थई. चार थुई, स्थानकवासी, मूर्ति पूजक, तेरह पन्थी, तारण पन्थी आदि अनेक अलग अलग सम्प्रदायों में टूट कर जैन शासन बिखर गया है - प्रभाव हीन हो गया है । यह स्थिति हम सब के लिए लजास्पद है ।
(६) धर्म का सार है - नैतिकता और प्रामाणिकता । ये दोनों गुण जिन विदेशों में आज पाये जाते हैं, उतने अपने उत्तम देश भारत में नहीं । भारत में जितने महापुरुषों ने धर्मगुरुओं ने-धर्मस्थानों ने-तीर्थो ने
और धर्मशास्त्रों ने जन्म लिया है, उतनों ने विदेशों में नहीं; फिर भी जितनी बईमानी, मिलावट, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी आदि भारत में फैली है, उतनी विदेशों में नहीं ।
युरोप में वजिटेबल सोसाइटियों की स्थापनाएं हो रही हैं, किन्तु भारत में मांसाहार का प्रचार बढ़ रहा है । कुलीन विद्वान् नौकरी के लिए तरस रहे हैं, किन्तु आरक्षण का लाभ उठाकर हरिजन-आदिवासी बड़े-बड़े अफसर वाते जा रहे हैं ।
१०३
For Private And Personal Use Only