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- मोक्ष मार्ग में बीस कदम, में प्रश्न करोगे तो कुछ भी पल्ले पड़ने वाला नहीं है। पूछने से पहले दिमाग को एकदम खाली करके आओ।"
ईश्वर के प्रति श्रद्धा सहज होती है। वह थोपी नहीं जा सकती। बड़े मुल्ला से किसी मित्र ने पूछा :- “मुझे क्या आप अल्लाह के प्रति श्रद्धालु बना सकते हैं ?"
मुल्ला :- "क्यों नहीं ? देखिये, मैं अपने मकान की छतसे नीचे कूद पड़ता हूँ। मैं अल्लाह का नाम लेकर कूदूंगा तो चोट बिल्कुल नहीं लगेगी। इससे उसकी शक्ति में आपको विश्वास हो जायगा।"
मित्र :- "बायचान्स ऊपर से गिरकर भी बहुत-से लोग बच जाते हैं। आप इसमें बेचारे अल्लाह को बीचमें क्यों घसीटते है?'
मुल्ला :- “एक बार बयूँ तो बायचान्स; परन्तु दूसरी बार चढ़कर गिरूँ और बच जाऊँ तो?"
मित्र :- “वह भी बायचान्स! आप अपने मकान की छत से गिरने की बात करते हैं; परन्तु बहुत से लोग तो हवाई जहाज से गिरकर भी बाल-बाल बच जाते हैं। यह मात्र एक संयोग है।"
मुल्ला :- “अगर तीसरी बार मैं मस्जिद के ऊपर चढ़ जाऊँ और फिर वहाँ से अल्लाह का नाम लेकर कूद पहूँ तब तो तुम्हें श्रद्धा होगी कि अल्लाह की दिव्य शक्ति ने मुझे बचाया है ?"
मित्र :- "मुल्ला! तुम तीन बार कूदकर चोट से बच जाओगे तो यह तुम्हारा अभ्यास कहलायगा। इससे सिद्ध होगा कि तुम कूदने की कला में कुशल हो। इस कला से प्रसन्न होकर कोई भी सर्कस तुम्हें सर्विस पर रख लेगा।"
___ मुल्ला :- “जहन्नुम में जाय तुम्हारा प्रश्न! मैंने तो तुम्हारे मन में श्रद्धा उत्पन्न करने की अपनी ओर से पूरी कोशिश की थी; परन्तु तुम ऐसे अश्रद्धालु निकले कि मुझे मस्जिद से सीधे सर्कस तक पहुँचा दिया!''
जो गुरु बनना चाहता है, उसे ठोस ज्ञान अर्जित करना चाहिये; अन्यथा वह हँसीका पात्र बन जायगा।
एक शालानिरीक्षक (इन्स्पैक्टर ऑफ स्कूल्स)थे। एक विद्यालय में निरीक्षण करने गये कि पढ़ाई कैसी चल रही है ? विद्यालय की एक कक्षा में पहुँचे। छात्र और अध्यापक उनके सम्मान में खड़े हो गये। हाथ के संकेत से सब को बैठने का आदेश देकर निरीक्षक महोदय ने एक प्रश्न किया :- "बताओ, बच्चे! शिवजी का धनुष किसने तोड़ा?"
सब एक-दूसरे का मुँह देखने लगे।
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