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कमला :- "तो फिर रो क्यों रहा है तू ?"
निर्मल :- "माँ, बगीचा बहुत बुरा है। मैंने गुलाबका पौधा देखा। कितने सुन्दर फूल खिले थे! परन्तु फूलोंके नीचे काँटे ही काँटे उगे थे; बहुत तीखे थे वे ! उन्हें देखकर रोना आ
गया।"
■ मोक्ष मार्ग में बीस कदम
माता उसे कुछ समझाना ही चाहती थी कि उसी समय हँसता हुआ विमल आ पहुँचा। पूछने पर हँसने का कारण बताते हुए वह बोला :-“माँ! बगीचा बहुत अच्छा है । वहाँ मैंने देखा कि तीखे - तीखे काँटोंके बीच भी रहकर गुलाब के फूल हँस रहे हैं। हमें भी इसी प्रकार प्रसन्न रहना चाहिये । है न माँ! ठीक ?"
माँने दोनों बच्चों को गले से लगा लिया और समझाया कि हमारा दृष्टिकोण विमल की तरह आशावादी होना चाहिये, निर्मल की तरह निराशावादी नहीं । एक ही वस्तुको देखकर एक रोता है, दूसरा हँसता है। दूसरा दृष्टिकोण ही हम सबके लिए उपयोगी है। हम फूलमें काँटे न देखकर काँटों में फूल देखनेका अभ्यास करें - यही हमारे लिए कल्याणकारी होगा, यही बुद्धिका सदुपयोग होगा ।
वकालत का पेशा बुद्धिपर निर्भर है। वह निर्दोषों की रक्षा के लिए है; परन्तु स्वार्थी वकील उसका उपयोग अपराधियों की रक्षामें करते हैं; क्योंकि अपराधियों से ही उन्हें अधिक अच्छी फीस मिल सकती है । महात्मा गाँधी जब बैरिस्टर बने, तब उन्होंने नियम ले लिया था कि वे कभी झूठे मुकदमे हाथ में नहीं लेंगे। सच्चे मुकदमों का मतलब था-1 -ऐसे मुकदमे, जिनमें निर्दोषों को फँसाया गया हो। उनकी रक्षा करना ईमानदार वकीलका कर्त्तव्य है । जिस प्रकार निर्दोषकी रक्षा करना कर्त्तव्य है, उसी प्रकार अपराधी को सजा दिलाना भी कर्त्तव्य है ।
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इंग्लैंड की घटना है । वहाँ एक व्यक्तिने किसी की हत्या कर दी। जिसकी हत्या की गई थी, उसकी पत्नीने सेशनकोर्ट में केस चलाया; परन्तु कोई सबूत न मिलने से हत्यारा छूट गया। महिला ने हाइकोर्ट में अपील की; परन्तु वहाँ भी वह पराजित हो गई। वहाँ भी हत्यारे को निर्दोष मानकर मुक्त कर दिया गया।
महिला निराश नहीं हुई । वह घरसे बहुत सम्पन्न थी । हत्यारे को दण्ड दिलाये बिना वह सन्तुष्ट होनेवाली नहीं थी । उसने बड़े-बड़े बैरिस्टरों से आगे अपील करने के लिए सम्पर्क साधा; परन्तु भारी से भारी फीस पर भी कोई केस हाथ में लेने को तैयार न हुआ; क्योंकि सेशन कोर्ट और हाइकोर्ट में गवाहों का अभाव होने से हत्यारा निर्दोष छूट चुका था, अतः आगे भी छूट जाता; और उस हालत में वे बैरिस्टर बदनाम हो जाते तो भावी जीवन में उनकी प्रेक्टिस दुष्प्रभावित हो सकती थी ।
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