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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir • अहिंसा. मोक्षं ध्रुवं नित्यमहिंसकस्य ॥ -सूक्तिमुक्तावली (जो नित्य अहिंसक बना रहता है, उसके लिए मोक्ष निश्चित हो जाता है।) इस दुनिया में हिंसा के साधन अनेक हैं और वे एक से एक अधिक भयंकर हैं- अधिक संहारक हैं! पत्थर, लाटी, तलवार, भाला, तीर, बन्दूक, तोप, अणुबम, न्यूट्रान बम, परमाणु (हाइड्रोजन)बम, आदि क्रमशः अधिक से अधिक हानिकर शस्त्रों का आविष्कार मनुष्य ने मनुष्योंकी हत्या के लिए किया है। सन् १९१४ और १९३९ के दो विश्वयुद्धों का घोर दुष्परिणाम दुनिया देख चुकी है। फिर भी तीसरे विश्वयुद्ध की तैयारी चल रही ही है। आज दुनिया में इतने शस्त्रास्त्रों का भण्डार है कि उनके उपयोग से किसी एक प्रदेश या राष्ट्र को नहीं, सम्पूर्ण पृथ्वी के प्राणियों को कम से कम सौ बार नष्ट किया जा सकता है! फिर भी शस्त्रास्त्र निर्माण की प्रक्रिया चालू है। ___ इस समय दुनिया में जितने आणविक अस्त्र मौजूद हैं, उनमें से पिच्यानवे प्रतिशत (९५) केवल रूस और अमेरिका - इन दो राष्ट्रों के अधिकार में हैं और शेष पाँच प्रतिशत में अन्य समस्त राष्ट्रों के कुल शस्त्रास्त्र हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग एक अरब रूपये प्रतिदिन शस्त्रास्त्र भंडार में वृद्धि के लिए खर्च किये जा रहे हैं। यदि यह सारी राशि किसी अस्पताल, शिक्षा, परोपकार आदि विधायक कार्य में खर्च की जाय तो मनुष्य समाज अधिक सुखी हो सकता है; परन्तु स्वार्थी राष्ट्रों के नायकों को समझाये कौन? इन समस्त शस्त्रों के विरूद्ध अशस्त्र केवल एक है-- अहिंसा। इसमें कोई तरतमता नहीं पाई जाती। आचारांग सूत्र में प्रभु महावीर ने फरमाया है : अत्थि सत्थं परेण परं। नत्थि असत्थं परेण परं ॥ [शस्त्र तो एक से एक बढ़कर हैं, परन्तु अशस्त्र (अहिंगा) एक से एक भी बढ़कर नहीं है।] शस्त्रोंके प्रयोग में अशान्ति है- युद्ध है- क्रूरता है; परन्तु अहिंसा के प्रयोग में ऐसा नहीं है । वहाँ तो केवल शान्ति है- सहयोग हैं- दयालुता है । हमें कौनसी वस्तु उपादेय लगती है- शस्त्र या अशस्त्र ? शान्ति से सोचिये। सुप्रसिद्ध अहिंसक महात्मा गाँधी के पिता वैष्णव थे और उनकी माता जैन थी। अन्तर्धर्मीय विवाह हुआ था उनका | गुजरात में ऐसे विवाह होते रहते हैं। उसमें कोई बाधा नहीं आती। जब महात्मा गाँधी को विशेष अध्ययन के लिए विलायत भेजने का प्रश्न खड़ा ४५ For Private And Personal Use Only
SR No.008726
Book TitleMoksh Marg me Bis Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages169
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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