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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६. अहिंसा अहिंसा प्रेमियो! धर्मका सार यदि तीन अक्षरों में प्रकट करना हो तो हम कहेंगे -अहिंसा। जैन धर्म में उसे भगवती कहा गया है : एसा सा भगवई अहिंसा जा सा भीयाणं पिव सरणं, पक्खीणंपिव गमणं, तिसियाणंपिव सलिलं, खुहियाणंपिव असणं, समुद्दमझे व पोतवहणं, चउप्पयाणं व आसयपदं, दुहट्टियाणं व ओसहिबलं, अडवीमज्झे व सत्यगमणं ए तो विसिट्टतरिया अहिंसा तसथावरसबभूय खेमंकरी। -प्रश्नव्याकरण [यह वह भगवती अहिंसा हैं, जो डरे हुए प्राणियों को शरण देने वाली है। इसी प्रकार पक्षियों को गति, प्यासों को जल, भूखों को भोजन, समुद्र के बीचमें जहाज, पशुओंके लिए आश्रय स्थल, रोगियों के दवा का बल तथा जंगल में भटके हुओंके लिए सार्थ (कारवाँ)- इन सबसे भी अधिक कल्याण त्रस-स्थावर सब जीवों का करने वाली है।] हिन्दूधर्म में उसे श्रेष्ठ धर्म प्ररूपित किया गया है :अहिंसा परमो धर्मः॥ -महाभारतम् परंम धर्म श्रुतिविदित अहिंसा ।। -रामचरितमानस मा हिंस्यात् सर्वभूतानि ॥ -यजुर्वेद (सब प्राणियों की हिंसा मत करो) ईसाई धर्म कहता है : Thou shall not kill -बाइबिल (तुझे किसीका वध नहीं करना है ।) इस्लाम धर्म में हाजियों (तीर्थयात्रा करने वालों) के लिए हुक्म फरमाया गया है कि For Private And Personal Use Only
SR No.008726
Book TitleMoksh Marg me Bis Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages169
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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