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• अभिमान •
निकला उपदेश सीधा मेरे कानों में पहुँचे ।"
राम :- “परन्तु इसी व्यवहार से तुम अपात्र प्रमाणित हुए। शिक्षार्थी में विनय होना चाहिये। फिर से जाओं और उनके चरणों के पास बैठो। अपने अशिष्ट व्यवहार के लिए क्षमा माँगी और उनके चरणों में मस्तक झुकाकर शिक्षा की प्रार्थना करो।"
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आज्ञाकारी लक्ष्मण ने वैसा ही किया और रावणने भी प्रसन्नतापूर्वक उसे राजनीति की अनुभवपूर्ण शिक्षा दी । किसी इंग्लिश विचारकने लिखा है :
Be humble if you would attain to wisdom. Be humbler still when wisdom you have mastered.
( यदि तुम ज्ञान पाना चाहते हो तो नम्र बनो और जब ज्ञान प्राप्त हो जाय तो और भी अधिक नम्र बन जाओ)
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