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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मोक्ष मार्ग में बीस कदम - पाँव :- "हम चलते है; दौड़ते हैं, फुटबाल खेलते हैं, सारे शरीर के आधारस्तम्भ हैं; इसलिए सबसे बड़े हैं।' पेट :- “भोजन का पाचन करके शरीरके समस्त अंगों का पोषण मैं ही करता हूँ। मेरे ही लिए लोग श्रम करते हैं। यदि मैं न होता तो लोग महान् आलसी बन जाते।" हाथ :- “सारे काम हम करते है* मित्रों का आलिंगन हमारे बिना नहीं हो सकता। नमस्कार भी हमारी सहायता से ही किया जा सकता है; इसलिए हम से बड़ा कोई नहीं है।'' मुँह :- "मैं दो महत्त्वपूर्ण कार्य करता हूँ- खाना पीना और बोलना। जीभ ही विविध फलों एवं मिठाइयों का स्वाद लेती है । दाँत चबाते हैं और जीभ की रक्षा करते है। बोलने के अतिरिक्त गाने का काम भी मैं करके लोगों को मन्त्रमुग्ध कर देता हूँ।'' । नाक :- "चेहरे की शोभा मेरे कारण है | यदि मैं न रहूँ तो लोग नकटे कहलायें। सुगन्ध और दुर्गन्ध की जानकारी मुझ से होती हैं। यदि मैं साँस लेना बन्द कर दूं तो शरीर मुर्दा बन जाय।" आँखे :- “शरीर को मार्गदर्शन तो हम ही करती हैं। सुन्दर दृश्य, फिल्म, टी.वी., चित्र, मित्र आदि दिखाकर लोगों का हम मनोरंजन करती हैं। हमारे अभाव में लोग अन्धे बन जाएँगे- दूसरों की दया पर पलने वाले दयनीय प्राणी बन जाएँगे; इसलिए हमारा महत्त्व सब से अधिक है।" कान :- "हमारे अभाव में लोंग बहरे कहलायेंगे। संगीत, उपदेश, भाषण और कहानियाँ हमारे ही द्वारा सुनी जाती हैं; इसीलिए स्वर्णालंकारों से हमें सजाया जाता है।'' मस्तिष्क :- “तुम सब मेरे ही निर्देश से अपने-अपने कार्य सम्पन्न करते हो। तुम्हारे कार्यों से होनेवाले सुख-दुःख का अनुभव मैं करता हूँ। यदि मैं बीमार हो जाऊँ तो लोग पागल कहलायें । मेरा महत्त्व समझकर ही कुदरत ने शरीर में सबसे ऊँचे स्थान पर मुझे स्थापित किया अन्तमें शेठ आत्माराम ने नोटिस भेज दिया कि तुम सब अपना-अपना कार्य करते रहो । यदि तुमने मेरा आदेश नहीं माना तो मैं अन्यत्र चला जाऊँगा। यह मेग अल्टीमेटम है। शरीर के अंगोने तत्काल इमर्जेन्सी मीटिंग (आपातकालीन बैटक) बुलाई, नोटिस की भाषा समझाने की कोशिश की गई। यदि ये शेट आत्माराम चले गये तो हमारा क्या मूल्य ? हम को तो कोई घर में भी रखना पसंद नहीं करेगा । श्मशान में ले जाकर हमें जला दिया जायगा। आखिर सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित करके शेट आत्माराम के पास भेज दिया गया कि आज से हम घमण्ड नहीं करेंगे और आपकी आज्ञा के अनुसार मिल जुलकर रहेंगे। शेठ आत्माराम उस प्रस्ताव से सन्तुष्ट हो गये। तब से शरीर के सारे अंग मिल जुलकर रहते हैं। एक-दूसरे की सहायता करते हैं। पाँव में काँटा लग जाय तो आँख उसे दिखायगी-- ३० For Private And Personal Use Only
SR No.008726
Book TitleMoksh Marg me Bis Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages169
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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