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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir •अनेकान्त. को विवश है । रही बात हमारी, सो हम तो लाठी पर बैठे हैं, न तैर रहे हैं और न बह रहै ___ अनेकान्त वादी मेंढक की यह बात एकान्तवादी दुराग्रहियोंको सहन नहीं हुई । उन चारों ने मिलकर उस पाँचवे मेंढक को धक्का देकर जल में डूबो दिया। एकान्तवादियों के स्वमत मोहका-दुराग्रह का-कट्टरपनका कुपरिणाम बेचारे समझदार सत्यवादी को भोगना पड़ा! परन्तु अनेकान्तवादी अपने प्राणों की पर्वाह नहीं करते। जिनके पास तर्क नहीं होता, वे ही तलवार का सहारा लेते है। तर्क के बल पर बड़े मुल्लाने किस प्रकार बादशाह के छक्के छुड़ा दिये, सो सुनने योग्य है। ___ एक दिन बादशाह ने घोषित कर दिया कि जो असत्य बोलेगा, उसे प्राणदण्ड दिया जायगा ।बड़े मुल्लाने इस चुनौती को स्वीकारते हुए कहा :- “मै कल आऊँगा । असत्य बोलूँगा; फिर भी आप मुझे प्राण दण्ड नहीं दे सकेंगे!" दूसरे दिन मुल्लाजी आये। द्वारपाल ने जब आने का प्रयोजन पूछा तो बोले :- "मैं आज फाँसी पर लटकाया जाने वाला हूँ। बादशाहने मुझे फाँसी पर लटकाने के लिए बुलाया है; इसीलिए मैं उन से मिलने आया हूँ।'' । द्वारपालने बड़े मुल्ला का सन्देश बादशाह के पास पहुंचा दिया। बादशाहने उन्हें अपने पास बुलवा तो लिया; परन्तु वे उन्हें फाँसी पर नहीं लटका सके । द्वारपाल से बड़े मुल्लाने कहा था कि बादशाहने मुझे फाँसी पर लटकाने के लिए बुलाया है-यह बात असत्य थी; इसलिए घोषणा के अनुसार उन्हें फाँसीपर लटकाया जा सकता था; क्योंकि वे असत्य बोले थे; परन्तु कल उन्होंने कहा था कि मैं असत्य बोलूँगा और अपने कथनानुसार वे आज असत्य बोले; इसलिए उनका कथन सत्य ही था! तब सत्यवादी को फाँसी पर कैसे लटकाया जाय ? यह समस्या खड़ी हो गई । आखिर असमंजस में पड़े बादशाह को मन-ही-मन हार मान लेनी पड़ी। मुल्ला अपनी तार्किकता पर मुस्कुराते रहे। एक और घटना सुनिये। दो पत्नियाँ थीं उनकी । प्रत्येक को एकान्त में वे कहा करते थे कि तुम उससे अधिक सुन्दर हो, जिससे वे खुश रहें। स्त्रियों के पेट में सवा नौ महीने तक शिशु टिक सकता है; परन्तु बात नहीं टिकती। एक ने दूसरी से कहा कि मुल्लाजी मुझे तुमसे अधिक सुन्दर बताते हैं तो दूसरीने कहा कि यही बात वे मुझसे भी कहते हैं। इसका मतलब यह कि हम दोनों को उल्लू बनाते हैं। आज खबर लेती हैं हम। आने दो घर पर उन्हें । शामको मुल्लाजी घर लौटे। दोनों उन्हें पकड़कर बैठ गई और पूछने लगीं- "बताइये, हम दोनोंमें से आपको कौन अधिक सुन्दर लगती है ?" बड़े मुल्लाने मुस्कुराते हुए कहा :- "बस, इतनी-सी बात ? सुनना ही चाहती हो तो सुनो। मुझे तुम दोनों एक दूसरी से अधिक सुन्दर लगती हो!" २१ For Private And Personal Use Only
SR No.008726
Book TitleMoksh Marg me Bis Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages169
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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