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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मोक्ष मार्ग में बीस कदम . (कुमारिल भट्ट और मुरारि नामक जो विद्वान् वस्तुको सामान्यविशेषात्मक मानते हैं. वे अनेकान्तका खण्डन नहीं कर सकते! विज्ञान के एक आकार को अनेक आकारों से युक्त मानने वाले बौद्ध विद्धान् के द्वारा अनेकान्त का खण्डन नहीं किया जा सकता! बुद्धिमानों में प्रमुख सांख्यदर्शन प्रणेता कपिलमुनि प्रकृति को सत्त्व, रज और तम इन परस्पर विरूद्ध तीन गुणों से युक्त मानते हैं; इसलिए अनेकान्त का वे खण्डन नहीं कर सकते! वेदान्ती विद्धान ब्रह्म को परमार्थ से अबद्ध और व्यवहार से बद्ध मानता है; इसलिए वह भी अनेकान्त का खण्डन नहीं कर सकता!) इन श्लोकों में यह बताया गया है कि अनेकान्त का खण्डन करनेवाले दार्शनिक स्वयं अपने सिद्धान्तों में परस्पर विरूद्ध बातों को एकत्र मानते हैं; इसलिए वे केवल द्वेषवश अनेकान्त का विरोध करते हैं; अन्यथा उन्हें विरोध करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। एक बार मूसलधार वर्षा हुई। पूरा गाँव बह गया। गाँव के बाहर बहने वाली नदी में बाढ आ गई। एक लाठीपर पाँच मेंढक बैठे थे। लाठी पानी की सतह पर भी। मेंढक डूबने से बच गये । उनकी पारस्परिक बातचीत की एक मनोरजक रिर्पोट इस प्रकार है : पहला मेंढक :- "हम बह रहे है!" दूसरा मेंढक :- “नहीं लकड़ी (यह लाठी, जिस पर हम बैठे हैं) बह रही है!'' तीसरा मेंढक :- “गलत! न हम बह रहै हैं, न लाठी बह रही है; किन्तु नदी बह रही है।" - चौथा मेंढक :- “अरे मूर्यो । नदी तो जहाँ थी, वहीं है। वास्तव में जल बह रहा है। जल की सतह पर लाठी बह रही है और लाठी के सहारे हम बह रहे हैं; किन्तु यदि जल न बहे तो न लाठी बह सकती हैं, न हम।" तीसरा मेंढक :- “कौन कहता है कि जल बह रहा है ? क्या जल बहने में स्वतन्त्र है ? यदि स्वतन्त्र है तो फिर सरोवर का या समुद्र का जल क्यों नहीं बहता? नदीमें जल को बहना ही पड़ता है; क्योंकि नदी बहती है । केवल सूखी नदी नहीं बहती; परन्तु जिस नदी में हम इस समय हैं, वह सूखी नहीं है; इसलिए मेरा कथन ही ठीक है कि नदी बह रही है।" पाँचवाँ मेंढक बूढ़ा था, अनुभवी था। उसने अनेकान्तवादी उत्तर दिया :- “भाईयो ! अपने अपने दृष्टिकोण से आप सब का कथन ठीक है; किन्तु दूसरों के दृष्टिकोण से गलत है। नदी भी बह रही है - जल भी बह रहा है - लाठी भी बह रही है और हम भी बह रहे हैं। चारों बातें ठीक है; परन्तु एकान्त आग्रह करने पर चारों बातें गलत भी हैं ।कैसे ? देखिये, नदी स्थिर है। पानी भी स्थिर है। वह तो नदी की ढलान के कारण एक ओर जाने को विवश है। लाठी भी स्थिर है। यदि जल न होता तो वह स्थिर ही रहती । जल के कारण वह बहने २० For Private And Personal Use Only
SR No.008726
Book TitleMoksh Marg me Bis Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages169
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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