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• अनासक्ति. कभी-न-कभी होने ही वाली है; परन्तु यह बात किसी को याद नहीं रहती। याद रहे तो सब अनासक्त हो जाएँ। मैं भी निरन्तर मरण का स्मरण करता रहता हूँ; स्वाद नहीं आता। यही कारण है कि देहमें रहते हुए भी मुझे लोग विदेह कहते हैं।'' .
विदेह बनाने वाली है- अनासक्ति ।
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