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अभिनेत्री का चुनाव अमुक तिथि को किया जायगा । इस चुनाव में जिन युवतीयों को सम्मिलित होना हो, वे पूरी तैयारी के साथ यथासमय उपस्थित हो सकती हैं ।
राजा नन्द के पास भी यह सन्देश पहुँचा । " अन्धा क्या चाहे ? दो आँखें !" वह तो ऐसे मौके की तलाश में ही था । उसने विषकन्या को साक्षात्कार के लिए भेज दिया । अन्य युवतियों के साथ वह भी निश्चित तिथि को चाणक्य के सामने आकर खड़ी हो गई । चतुर चाणक्य ने सैंकड़ों युवतियों में सुन्दरतम देखकर विषकन्या को ही चुना । उसीका फँसाने के लिए यह सारा जाल रचा गया था । चावक्य को अपनी युक्ति की सफलता पर प्रसन्नता हुई, किन्तु यह रहस्य उसने अपने आप तक ही सीमित रखा था । चन्द्रगुप्त तक को कुछ नहीं मालूम था ।
अपनी योजना के अगले चरण के रूप में चाणक्य ने विषकन्या से कहा कि नाटक में भाग लेने से पहले आपको अपनी योग्यता की परीक्षा भी देनी होगी । मैंने तो केवल रूपलावण्य के आधार पर ही आपका चयन किया था । आपकी नृत्य और गीत कला का परीक्षण महाराज चन्द्रगुप्त करेंगे । उनके सामने आपको अपनी कलाएँ प्रदर्शित करनी होगी ।
विषकन्या तो यह चाहती ही थी कि किसी तरह यदि महाराज चन्द्रगुप्त से मिलाप हो जाय तो अपने जीवन का प्रयोजन ही पूरा हो जाय । नाटक में अभिनय करने की कोई उत्सुकता उसके भीतर नहीं थी, इसलिए उसने चाणक्य के प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया ।
चन्द्रगुप्त के सामने एकान्त कक्ष में विषकन्या के नृत्य का आयोजन किया गया । अपने नृत्य और सुमधुर गीत से वह चन्द्रगुप्त का मन आकर्षित करने लगी । गीत की समाप्ति
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