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प्रजा की सम्पत्ति को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी उठाता है; इसलिए राज्य को अर्थ का मूल माना गया है।
जो राजा प्रसंयमी होता है-दुर्व्यसनों का शिकार होता है-इन्द्रियों का गुलाम होता है, वह पराजित होकर अपना राज्य खो बैठता है। शत्रु राजा उसे विषयों के प्रलोभन में फंसाकर आसानीसे परास्त कर देता है। ___ चाणक्य चन्द्रगुप्त का मन्त्री था। उसके सुनने में आया कि विपक्षी राजा नन्द ने चन्द्रगुप्त को मारने के लिए एक विषकन्या तैयार की है। विषकन्या बहुत परिश्रम से तैयार की जाती है। किसी अत्यन्त सुन्दर कन्या को बचपन में ही मुहमाँगा धन देकर उसके माँ-बाप से खरीद लिया जाता है। फिर नाना प्रकार के प्रयोगों से उसके शरीर को विषेला बनाया जाता है। वह इतना विषैला बन जाता है कि उसके अधरों का चम्बन करने वाला तत्काल बेहोश होकर परमधाम पहुँच जाता है । विषकन्या को नाचने और गाने की मनोमोहक कला सिखाई जाती है, और फिर उसे शत्रु राजा के पास भेज दिया जाता है। उस पर आसक्त होकर शत्रु राजा मौत का मेहमान बन जाता है।
अपने गुप्तचरों से महामन्त्री चाणक्य ने जब विषकन्या की बात सुनी तो राजा नन्द की इस चाल को काटने का उपाय वह सोचने लगा। उसे उपाय सूझ भी गया।
उसके अनुसार उसने दूर-दूर के राज्यों तक यह सन्देश पहुँचा दिया कि राजा चन्द्रगुप्त का जन्मदिन मनाने के लिए हमारे राज्य में बड़े उत्साह से तैयारियाँ हो रही हैं। उस दिन मंच पर "अभिज्ञान-शाकुन्तलम्" नाटक प्रदर्शित किया जायगा । उसमें "शकुन्तला" की भूमिका के लिए एक सुन्दर
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