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इंग्लिश में भी एक कहावत है"Empthy wessels ncise much." [खाली बर्तन अधिक आवाज़ करते हैं]
हिन्दी को कहावत भी इस बातका इन शब्दों में समर्थन करती है
"अधजल गगरी छलकत जाय !"
जो घड़ा जलसे पूरा भरा हो, वह छलकता नहीं। उस प्रकार जो गंभीर ज्ञानी होता है, वह बकवाद नहीं करता!
बड़े मुल्ला ट्रेन में सवार थे। आसपास बैठे यात्रियों में से एकने कहा : “ये भारत की ट्रेनें तो बहुत धीरे चलती है। कोई मज़ा ही नहीं आता। कुछ वर्ष पहले मैं रूस गया था। एक ट्रेन में बैठा। वहां उसकी चाल इतनी तेज थी कि वाहर एक खंभे के बाद दूसरा खंभा इस तरह सामने प्राता था, मानो सब एक ही कतार में पास-पास खड़े हों।
दूसरा यात्री बोला : “यार ! मैं कुछ महीनों पहले इंग्लैंड गया था। वहाँ ट्रेनें इतनी तेज़ चलती है कि एक खेत के बाद दूसरा और दूसरे के बाद तीसरा इस प्रकार सामने आता था कि यह पता ही नहीं लग पाता था कि पहला खेत कहाँ समाप्त हुआ और दूसरा कहाँ। मानो पूरा एक ही खेत हो!
बड़े मुल्ला भी ऐसे समय मौन रहने वालों में से नहीं थे। उन्होने दोनों यात्रियों की बातों पर हँसते हुए कहा "अरे दोस्तो! अभी कुछ दिन पहले किसी विशेष काम से मुझे अमेरिका जाना पड़ा। वहाँ ट्रेन में सवार होते ही एक कुली से मेरा झगड़ा हो गया। मैंने आव देखा न ताव । गुस्से में उठा कर एक तमाचा उसके गाल पर दे मारा;
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