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ओर जाने वाली वैराग्य की गाड़ी में सवार होना था; परन्तु पाप उन मित्रों के समान अपने बहमत का हवाला देकर कहते हैं-"महाराज ! आप ही गलत जगह पर आ गये हैं।"
आपको विषयासक्ति का नशा है; जैसे उन मित्रों को भाँग का नशा था। वह नशा ही उपदेश न मानने के लिए आपको विवश करता है । यह सूख का-स्थायी सूख पाने का मार्ग नहीं है।
___ एक रूपक है। कोई दुःखी आदमी पाथेय की पोटली साथ लेकर सुख की खोज में घर से निकल पड़ा। इधरउधर भटकते हुए एक बार उसकी नजर सुख पर पड़ गई। उसे पकड़ने के लिए वह उसकी ओर भागा। सूखने देखा कि कोई मेरा पीछा कर रहा है, सो बचने के लिए वह भी भागा । भागकर वह एक सिंहासन पर बिराजमान हो गया।
आदमी वहाँ भी जा पहुँचा। तब भागकर वह एक सुन्दर बगीचे में फूलों के पौधों के समीप हरी-हरी दूब पर जाकर बैठ गया । प्रादमी वहाँ भी जा पहँचा। सूख वहाँ से छलाँग मार कर जंगल में चला गया। आदमीने जंगल में भी उसका पीछा किया; परन्तु वह आँखों से ओझल हो गया। आदमी थक कर विश्राम के लिए एक छायादार वक्ष के नीचे बैठ गया। दोंड़-धूप से उसे भूख भी सताने लग गई थी। उसने पाथेय की पोटली खोली और ज्यों ही खाने की शुरूआत की, त्यों ही उधर से एक भूखा भिखारी वहाँ आया : उसने हाथ जोड़कर उस आदमी से प्रार्थना की : "महोदय ! मैं चार दिन से भूखा हूँ। कृपया थोड़ा-सा सुख युझे भी दीजिये।"
यह सुनते ही आदमी एकदम चौंक पड़ा। वह सोचने लगा कि मैं जिस सुख की खोज में भटक रहा था, वह तो
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