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इसमें कलह के जो तीन कारण बताये गये हैं, वे (कंचन, कामिनी और भूमि) तीनों नश्वर हैं। यह बात कलह करते समय लोग भल जाते हैं।
महाराज भोज के बचपन की एक घटना है। मुंज भोज के चाचा थे। मरने से पहले भोज को उसके पिताने मुंज की गोद में बिठा दिया था। इसका आशय यह था कि मेरे बाद राजसिंहासन पर तुम बैठोगे और भोज का पालन - पोषण करोगे, पढ़ा - लिखा कर सुयोग्य बनाओगे और फिर बालिग होते ही इसे सिंहासन सौंप दोगे और स्वयं नीचे उतर जाओगे।
मुंज इस आशय को समझता था। बड़े भाई के मरने पर उसे सिंहासन मिल गया था; परन्तु सत्ता हाथ में आने के बाद कोई उसे आसानी से हस्तान्तरित करना नहीं चाहता। भोज को पालने का अर्थ था- ऐसे साँप को पालना, जो उसके सत्तासुख को डस लेने वाला है। वह चतुर राजनीतिज्ञ था, ऐसी भूल भला वह कैसे कर सकता था ?
उससे अपने मन्त्री से विचार विमर्श करके बालक भोज का वध कराने की योजना बनाई, जिससे उसके मार्ग का काँटा ही सदा के लिए खत्म हो जाय।
योजनानुसार जंगल में घुमाने के बहाने रथ में बिठाकर कुछ सैनिक बालक भोज को एक घोर जंगल में ले गये । वहाँ एक बड़ के झाड़ के नीचे रथ रोक कर उन्होंने बालक भोज से यहाँ पहुँचने का प्रयोजन बता दिया। बालक भोजने अपने मांसल अंग में काँटा चुभोकर थोड़ा-सा रक्त निकाला। फिर उस रक्त से एक बड़ के पत्ते पर एक श्लोक लिख कर उन्हें
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