________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२३१ भी कर डाला ! अमेरिकाने एक 'न्यूट्रॉन' नामक ऐसा बम बनाया है, जिससे केवल जीव ही मरते हैं, शेष सारी जी, बच जाती हैं । मनुष्य ही मनुष्य का दुश्मन बन गया ।
सिंह शिकार न सिंह का, क्योंकि जाति है एक । मानव कितना मूर्ख है, इतना भी न विवेक ॥
-सत्येश्वर गीता मनुष्य मनुष्य का संहारक बन कर पशुओं से भी गयागुजरा हो गया है। महाकवि रामधारी सिंह दिनकर कहते हैं :
बुद्धि तृष्णा की दासी हुई मृत्यु का सेवक है विज्ञान । चेतता अब भी नहीं मनुष्य विश्व का क्या होगा भगवान !
नदी बहना नहीं छोड़ती, समुद्र मर्यादा नहीं छोड़ता, चाँद-सूरज चमक नहीं छोड़ते और वृक्ष फलना-फूलना-छाया देना नहीं छोड़ते तो फिर मनुष्य ही क्यों अपना धर्म छोड़ता हैं ? अपने कर्तव्य को भूलता हैं ?
आदमी के बुरे पक्ष को प्रकट करते हुए एक पाश्चात्य विचारक ने लिखा हैं :
"सिर्फ आदमी ही रोता हुमा जन्म लेता है-शिकायत करता हुआ जीता है तथा निराश होकर मर जाता है।"
--सर वाल्टर टेम्पल एक हिन्दी कवि ने आज़ के आदमी की दुर्दशा का कारण खुद आदमी को ही बताते हुए कहा है :
आदमी की शक्ल से अब डर रहा है आदमी आदमी को लट कर घर भर रहा है आदमी । आदमी ही मारता है मर रहा है आदमी समझ कुछ अाता नहीं क्या कर रहा है आदमी ।।
For Private And Personal Use Only