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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महात्मा ईसामसीह का एक शिष्य था - जूडास। उसने भी चाँदी के चंद सिक्कों के प्रलोभन में फंसकर महात्मा को पकड़वा दिया था। महात्माजी को इस बात का पता लग गया था; फिर भी लास्ट सपर के समय उन्होंने रोटी का एक टुकड़ा बड़े प्यार से जूडास के मुंह में रख दिया था। अन्तिम समय में प्रकट हुआ महात्मा ईसाका वह वाक्य तो अमर हो गया है, जिसके द्वारा अपने सताने वालों के लिए ईश्वर से क्षमा की प्रार्थना की थी। कहा था :- "हे प्रभो ! तू इन सबको माफ कर देना; क्योंकि ये जानते नहीं कि ये क्या कर रहे हैं।" __ महात्मा गांधी ने गोली मारने वाले गोडसे के विषय में मरने से पहले कहा था :- "इसे कोई दण्ड मत देना!" बम्बई की बात है। उपाश्रय में एक श्रावक सामायिक कर रहा था। सामायिक पूरी होने पर जब वह बाहर आया तो पता चला कि उसके जूते कोई उठा ले गया है। नंगे पाँव ही वह अपने घर की ओर चल पड़ा। लोगोंके पूछने पर उत्तर में कहा :- "जिस भाई को जरूरत होगी, वही ले गया होगा!" दूसरे दिन अचौर्यव्रत के विषय में गुरुदेव का प्रवचन सुनकर चुराने वाले भाईने सबके सामने खड़े होकर अपना अपराध स्वीकार किया और प्रायश्चित्त माँगा। उस सेठ ने भी खड़े होकर अपने समाज के गरीब लोगों की उपेक्षा करने के पाप का गरुदेव से प्रायश्चित्त माँगा। गरीबी का समाधान श्रम है, चोरी नहीं। मरने पर सारा धन यहीं छूट जाने वाला है। इसलिए आवश्यकता के अनुसार ही धन एकत्र करना चाहिये और अतिरिक्त एकत्र धन को परोपकार में लगा देना चाहिये। For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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