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२१६ वेश का भावना पर प्रभाव इस उत्तर से प्रमाणित होता है यही कारण है कि सामायिक के लिए वेश बदलना आवश्यक माना जाता है :
सामाइयम्मि उकए समणो इव सावनो हवइ जम्हा ।
ए एणं कारणे णं बहुसो सामाइयं कुज्जा । [सामायिक करने पर श्रावक श्रमण के समान हो जाता है। इस कारण बार-बार सामायिक की जानी चाहिये |
सामायिक तो आप करते हैं; परन्तु उसके बत्तीस दोष कौन से हैं ? यह तो मालूम न हो तो निर्दोष सामायिक कैसे होगी ? और जब तक निर्दोष सामायिक आप नहीं करते तब तक शुद्ध भावना की जागृति कैसे होगी ?
धन के लिए धनवानों की आराधना की जाती है तो सामायिक के लिए भी श्रमणों की उपासना करनी होगी; क्योंकि श्रमण निरन्तर सामायिक में ही रहते हैं। वे ही सामायिक की कला में कुशल होते हैं। जो इस कला में कुशल नहीं हैं-ऐसा आप मान सकते हैं।
ज़रा-सा धन पाने के लिए लोग नौकरी ढूढते हैं - इंटरव्यू देने के लिए बड़े-बड़े ऑफिसों में दौड़े जाते हैं ; परन्तु मैं आप सबको निमन्त्रण देता हूँ। आप मेरे आफिस में आइये। बिना इंटरव्यू लिये ही मैं सबको करोड़पतिअरबपति बना देता है। मैं आपको सामायिक की सविस दे दूंगा और तत्काल आपके जीवन में कितना परिवर्तन आ जाता है ? उसे देखिये - परखिये - मूल्यांकन कीजिये उसका ! करोड़पति - अरबपति, राष्ट्रपति आदि सब आपको वन्दन करेंगे। आपका गौरव उन सबसे अधिक होगा। क्या तैयार हैं आप इसके लिए ?
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