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महात्माने तीसरी बार उसे उठाकर वेगसे नदी तट पर उछाल दिया । शिष्यों में से एकने पूछा : "गुरुदेव ! आपने बार-बार काटने वाले बिच्छू को भी बचाने का प्रयास क्यों किया ?"
बोले : बिच्छू जैसा प्राणी भी जब डंक मारने का स्वभाव नहीं छोड़ता, तब मनुष्य होकर मैं उसे बचानेका स्वभाव कैसे छोड़ देता ? "
दुःखी प्राणियों के दुःख को मिटाना मनुष्य के स्वभाव में शामिल हो जाना चाहिये । यह कार्य उपकार मानकर नहीं, किन्तु अपना स्वभाव मानकर ही करना चाहिये ।
अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन प्रतिनिधि सभा में भाषण देनेके लिए जा रहे थे ।
मार्ग में उनकी नज़र एक ऐसे सूअर पर पड़ी, जो कीचड़ में फँस गया था और बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था ।
लिंकन ने बग्धीं रुकवाई और सूअर को खींच कर बाहर निकाल दिया । इस प्रयास में कीचड़ के छींटे उनकी पोशाक ( ड्रेस ) पर लग गये; परन्तु अब इतना समय नहीं था कि अपने निवास पर लौट कर पोशाक बदली जा सके । सभा में समय पर पहुँचना जरूरी था इसलिए वे कीचड़ से गन्दी पोशाक धारण किये हुए ही सभाभवम में जा पहुँचे और भाषण दे दिया ।
पोशाक पर कीचड़ लगने का कारण पूछने पर एक प्रतिनिधि से राष्ट्रपति के अंगरक्षक ने रास्ते में घटी पूरी घटना का विवरण सुना दिया ।
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