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दो भाई थे। छोटे भाई को एक पुत्र था और एक पुत्री थी। बड़ा भाई निस्सन्तान था। छोटे भाई की सन्तान उसकी आँखो में खटकती थी। एक दिन किसी तरह लड़झगड़ कर उसने छोटे भाई को परिवार से अलग कर दिया ।
छोटा भाई पास के शहर में व्यापार करने जाता था और शाम तक जो कुछ कमाई करके लाता, उसी से दूसरे दिन सब लोग पेट भरते ।
एक दिन की बात है। छोटे भाई के परिवारमें खाने के लिए एक दाना भी नहीं था; क्योंकि पहले दिन कमाई कुछ नहीं हुई थी। दूसरे दिन छोटा भाई सुबह जल्दी उठकर शहर में भूखे पेट ही कमाने के लिए चला गया। कह गया कि ज्यों ही थोड़ी-बहुत कमाई होगी, मैं तत्काल लौट आऊँगा।
इधर दिन चढ़ते ही बच्चे भूख से रोने लगे। उनकी वेदना माँ से सही नहीं गई। वह (छोटी बह) अपनी सास के पास गई और उससे चार रोटी का आटा माँग लाई।
फिर पाटे को जल्दी-जल्दी छुद कर वह रोटी बना ही रही थी कि बड़े भाई को पता लग गया। वह छोटे भाई के घरमें घुसकर बच्चों के हाथ से रोटियाँ छीनकर कुत्तों को डाल आया।
दुखियारी माँ दोनों बच्चों को लेकर कुएँ पर गई । छोटी बच्ची को छाती से चिपटाकर वह बड़े बच्चे से यह कहती हुई उसमें कूद पड़ी कि तू यहीं बैठना, मैं अभी रोटी लेकर पाती हूँ।
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