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मरते दम लुकमान भी यूँ कह गया
"यह घड़ी हर्गिज न खाली जायगी"
जब तेरी डोली निकाली जायगी ॥ होयगा परलोक में तेरा हिसाब
क्या करोगे तब वहाँपर तुम जनाब ? जब बही तेरी निकाली जायगी ।
जब तेरी डोली निकाली जायगी || ऐ मुसाफिर ! क्यूं पसरता है यहाँ ?
ये किराये पर मिला तुझ को मकाँ कोठड़ी खाली करा ली जायगी ।
जब तेरी डोली निकाली जायगी || क्यों गुलों पर हो रही बुलबुल निसार
है खड़ा पीछे वो माली खबरदार मारकर गोली गिरा लो जायगी
जब तेरी डोली निकाली जायगी ।। चेत "भैयालाल" अब जिनवर भजो
मोहरूपी नींद को जल्दी तजो आत्मा परमात्मा बन जायगी ।
जब तेरी डोली निकाली जायगी ॥ एक पुराने कवि "भैयालाल " का यह गीत आज भी हमारे वैराग्य को जगाने की पर्याप्त क्षमता रखता है । कुटुम्बी हों या मित्र - कोई भी परलोक में हमारे साथ नहीं आता :" मरघट तक के लोग बराती
"
हंस अकेला जाता !
प्रभु महावीर ने बार - बार गौतमस्वामी का ध्यान इस
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