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१०. चतुराई
यह एक ऐसा गुण है, जिसकी इस दुनिया में कदम-कदम पर ज़रूरत होती है। बुद्धि तो प्रायः सबमें होती है, परन्तु उसका ठीक समय पर ठीक तरह से प्रयोग करना चतुराई है :
श्रवण नयन अरु नासिका, हैं सबके इक ठौर । कहिवो सुनिवो समुझिवो चतुरन को कछु और ॥
एक महात्मा से पूछा गया कि आपने सारे सद्गुण किनसे सीखे हैं तो बोले : "मूोंसे ! क्योंकि जैसा वे करते हैं, वैसा मैं नहीं करता।"
सचमुच बुद्धिमान् मूों से जितना सीख सकते हैं, उतना मूर्ख बुद्धिमानों से नहीं सीख पाते !
किसी अपराध में बड़े मुल्ला पकड़ें गये । जज ने पूछा : "आपने ऐसा अपराध क्यों किया ?
मुल्लाने कहा : "आपके लिए, अन्यथा आप, आपका स्टाफ, पुलिस आदि सब बेकार न हो जाते ? पहले ही भारत में कितने करोंड़ व्यक्ति बेकार हैं ? मैं आप सबको बेकार बनाकर उनकी संख्या में वृद्धि नहीं करना चाहता था !"
इसी प्रकार एक जज से बड़े मुल्ला ने कहा : "पड़ोस की मुर्गी मेरे घर में आ गई है। इसे आप रख लीजिये।"
जज : "मैं क्यों रखू ? यह मुर्गी उसके मालिक को लौटा दीजिये।"
मुल्ला : "लेकिन जो मुर्गी का मालिक है, वह तो इसे लेने को तैयार ही नहीं है।"
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