SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५१ अमेरिका में एक पादरी ने बाइबिल सबसे ऊपर, गीता सबसे नीचे और बीच में सारे धर्मग्रन्थ ( अन्य धर्मों के शास्त्र ) रख दिये । फिर उस जगह स्वामी विवेकानन्द को ले जाकर कहा : "देखिये, यहाँ सारे धर्मग्रन्थों के ऊपर बाइबिल है और आपकी गीता सबसे नीचे !" स्वामीजी उसका आशय समझ गये । उन्हो ने उत्तर में कहा : "गुड फाउंडेशन | आधार मजबूत है । गीता को आपने ठीक स्थान पर रक्खा है । उसे वहाँ से हटाइयेगा नहीं ।" इस प्रकार अपनी प्रत्युत्पन्नमति से उन्हों ने गीता के गौरव की रक्षा की । दक्षिण भारत में श्रीधर नामक एक विद्वान् ब्राह्मण रहता था । उसके चार पुत्र थे । बड़े का नाम केशव था । मन्दबुद्धि होने से तथा आलसी होने के कारण वह पर्याप्त अध्ययन नहीं कर सका । चारों पुत्र जब जवान हो गये तो श्रीधर ने उनके अनुकूल कन्याओं से उनका विवाह कर दिया । घर में सारा परिवार संस्कृत में ही बातचीत करता था । एक दिन चारों भाई भोजन कर रहे थे । केशव की पत्नी परोस रही थी और शेष तीन पत्नियाँ भोजन बना रही थी । भोजन समाप्त करने से पहले केशव को कुछ दही खाने की इच्छा हुई । उसने कहा : "दधिमानय" ( दधिम् + आनय दही लाओ ) = For Private And Personal Use Only ܕ यह सुनकर सब भाई हँस पड़े, क्योंकि उसने "दधिम् " इस अशुद्ध पद का प्रयोग किया था । नपुंसकलिंगी होने से द्वितीया के एकवचन में भी "दधि" रूप ही बनता है, इस
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy