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मुल्ला ने नुस्खा सँभाल कर रख लिया; परन्तु उससे भी जब कोई लाभ नहीं हुआ, तब उसे साथ लेकर दुबारा डाक्टर के पास पहुँचे और बोले कि मुझे तो इससे कोई लाभ नहीं हुआ | आपके हुक्मके अनुसार यह नुस्खा मैंने तिजोरी में सँभालकर रक्खा था । उस कागजके टुकड़े में अब तक वैसी ही स्वच्छता है । न तो वह कहीं से कटा-फटा है और न मैला ही हुआ है ।
डाक्टर साहब ने कहा : नुस्खे के कागज पर लिखी दवाएं बाजार से खरीद कर खाने से बीमारी मिटेगी । केवल नुस्खे के कागज को सँभालनेसे कुछ नहीं होगा ! "
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प्रभु महावीर ही ऐसे डाक्टर हैं, जो राग-द्व ेषके रोग को मिटाने के लिए उपदेशरूपी नुस्खा देते हैं । उसे शास्त्ररूपी तिजोरी में बन्द करके रखने से नहीं; किन्तु उपदेशके अनुसार आचरण करने से हमारा रोग मिटेगा ।
श्रादमीयत और शं है इल्म है कुछ और चीज़ । कितना तोतेको पढ़ाया पर वो हैवाँ ही रहा ॥
एक आदमीने एक तोतेको बड़े प्रेमसे पाला । सुरक्षाके लिए उसे सिखा दिया कि बिल्ली आये तो भाग जाना !
आदमी उसे पींजरे में छोड़ कर बाहर किसी कामसे चला गया । असावधानी से पींजरे का द्वार खुला रख दिया था उसने ।
कुछ देर बाद उधर से एक बिल्ली का निकली । पींजरे का द्वार खुला देख कर वह धीरे-धीरे उसकी प्रोर बढ़ने लगी । तोते ने देखा तो घबरा कर पालक का मन्त्र बोल दिया : "बिल्ली आये तो भाग जाना "
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