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उपदेश केवल सुनने के लिए नहीं होता, आचरण में उतारने के लिए होता है । जो उपदेश के अनुसार आचरण नहीं करता, उसकी कैसी दुर्दशा होती है ? देखिये :
एक आदमीने बड़े मुल्ला को सलाह दी कि अमुक डॉक्टर को दिखाने से तुम्हारी तबीयत ठीक हो जायगी; क्यों कि बहुत बड़े डॉक्टर हैं ।
मुल्ला अस्पताल में गये और डॉक्टर साहब के सामने खड़े हो गये । वे उस समय, पहले आये मरीजों को देख रहे थे । बड़े मुल्ला ने एक सलाम ठोका । डाक्टर साहबने भी शिष्टाचार का उत्तर शिष्टाचारसे देनेके लिए उन्हें सलाम किया | मुल्ला तत्काल घर लौट आये । उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ ।
उस आदमी से जा कर कहा : "डाक्टर साहब ने मुझे देख लिया था; क्योंकि मेरे सलाम के उत्तर में उन्हें मेरे शरीरकी ओर देखना ही पड़ा; परन्तु उनकी नज़र मुझ पर पड़ गई, फिर भी मेरी बीमारी नहीं मिटी ।"
आदमी ने कहा : " अपना शरीर दूर से डाक्टर को दिखा कर चले आने से कुछ नहीं होता । मरीजों के साथ लाइन में खड़े हो जाओ और जब नम्बर आये, तब उनसे कहो कि मेरे शरीरकी जाँच करके कोई इलाज़ कीजिये, जिस से मैं चंगा हो सकू । "
मुल्ला ने दूसरे दिन वैसा ही किया। डाक्टर साहबने भली भांति जाँच कर के एक कागज पर नुस्खा लिख दिया और कह दिया कि इसे सँभाल कर रखना । जब दुबारा यहाँ आना हो तब इसे साथ लेकर आना ।
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