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एक इंग्लिश विचारकने लिखा है :
Cream will rise to the top. मलाई सतह पर तैरेगी अर्थात् गुण ऊँचे स्थान पर रहेंगे]
सद्गुणों से धन मिल सकता है; किन्तु धनसे सद्गुण नहीं मिल सकते ! यही दोनों में अन्तर है ।
गुणोंका महत्त्व न जानने वाला गुणियोंकी प्रशंसा नहीं कर सकता : न वेत्ति यो यस्य गुणप्रकर्षम्
स तं सदा निन्दति नात्र चित्रम् । यथा किराती करिकुम्भलब्धाम् ।
__ मुक्तां परित्यज्य बित्ति गुजाम् ॥ [जो व्यक्ति जिसके गुणोंका महत्त्व नहीं जानता, वह उसकी यदि सदा निन्दा करता है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। जैसे हाथीके कुम्भस्थल से प्राप्त मोती का त्याग करके भील गुजाको ग्रहण कर लेता है]
एक इंग्लिश विचारक डिकेन्स ने लिखा है :
सद्गुण चिथड़ों में भी उतना ही चमकता है, जितना भव्य बहुमूल्य वेषभूषामें !
सैकड़ों गुणहीनोंसे एक गुणवान् पुत्रको श्रेष्ठ बताते हुए कहा गया है :
वरमेको गुरणी पुत्रो न च मूर्खशतान्यपि ॥
एकश्चन्द्रस्तभो हन्ति न च तारागणोऽपि च ॥ [सैंकड़ों मूर्ख पुत्रोंकी अपेक्षा एक गुणवान् पुत्र श्रेष्ठ होता है । एक अकेला चाँद अँधेरेको नष्ट कर देता है; परन्तु
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