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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०६ account of something which your hands have done. [ तुम्हें जिस प्रपत्ति या दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है, उसका कारण वही कुछ कार्य है, जो तुम्हारे हाथोंने किया है ! ] एक गुजराती कहावत है : " जेहवी करे छे करनी तेहवी तरत फले छे !" 1 एक साधु अपने शिष्य के साथ एक गाँवसे दूसरे गाँवको जा रहे थे । मार्ग में एक तालाब आया । गुरुजी तो आगे निकल गये; परन्तु शिष्य रुक गया । उसने देखा कि एक मछुआ तट पर खड़ा होकर मछलियाँ पकड़ रहा है । उसने बड़े कोमल शब्द में उसके पास जाकर अहिंसाधर्मका उपदेश दिया; परन्तु मछुए पर उसका कोई असर नहीं हुआ । निराश हो कर भागता हुआ शिष्य अपने गुरुजी के समीप जा पहुँचा । अपने रुकने का कारण उन्हें बताया । यह भी कहा कि ऐसे लोग उपदेश पर ध्यान नहीं देते इससे बड़ी निराशा होती है । - गुरूजी ने समझाया कि अपने - अपने कर्मों का फल सब भोगते हैं । हमें सफलता की पर्वाह न करके प्रसन्नता - पूर्वक अपने कर्त्तव्य का पालन करते रहना चाहिये - करेगा सो भरेगा ! For Private And Personal Use Only कुछ वर्षों बाद विहारमें ही गुरु-शिष्य को एक जगह कोई घायल साँप दिखाई दिया, जो चींटियों के काटने से तड़प रहा था; परन्तु भागकर अन्यत्र नहीं जा पा रहा था । गुरुजी ने शिष्यसे कहा: “देखो ! उस दिन जिसे तुमने
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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