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लड्डू बच गये । उन्हें उसने एक कपड़े में बाँध कर खूटी से टांग दिया ।
रातको बारह बजे के प्रासपास दो आदमी कुटिया के निकट आये । उन्होंने किंवाड़ खटखटाये । फकीरने खोल दिये । अन्दर आकर वे बोले – “हम दोनों सैनिक हैं । दोतीन साल पहले सेनामें भरती हुए थे । आज छुट्टी लेकर अपने माँ-बापसे मिलने आये हैं; किन्तु अभी तो घरवाले सब सो रहे होंगे। हम भी थके हुए हैं। रातभर यहीं सोने की आज्ञा चाहते हैं, सुबह उठकर हम अपने घर चले जायेंगे ।
फकीरने उन्हें ठहरनेकी अनुमति दे दी । इतना ही नहीं; अपनी पोटलीमें बंधे वे दोनों लड्डू भी निकाल कर उन्हें दे दिये । बोले : एक-एक लड्डू आप दोनों खाकर जल पीनेके बाद सो जाइये ।"
सिपाहियोंने वैसा ही किया; किन्तु लड्डु खाने के बाद विषके प्रभावसे वे सदाके लिए सो गये ।
सुबह उठकर फकोरने विषैले लड्डुओंके बारे में जाना, जब देखा कि उनके खानेसे बेचारे दोनों सिपाही अपने माँबाप से मिलने के पहले ही इस दुनिया को छोड़कर चले गये हैं।
फकीर अपनी झोली उठाकर बस्ती में गया और गाने लगा :
भले भलाई बरे बुराई कर देखो रे भाई । लड्ड दिये फकीर को, पर दो मर गये सिपाई ॥
जब उस औरत ने सुनी यह आवाज़ तो उसे शंका हुई कि मेरे दो बेटे जो सेनामें भरती हुए थे, कहीं वे तो नहीं मर गये। शंका स्वाभाविक थी; क्योंकि दो-चार दिन
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