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क्या होता है ? तत्काल घर पर गिनती हो जायगी कि कैदी कहाँ गया ? घर वाले दौड़े दौड़े यहाँ आयेंगे और मुझसे कहेंगे कि महाराज ! जिस कैदी को हमने प्रवचन सुनने के लिए पैरोल पर छोड़ा था, वह लौट कर अब तक घर क्यों नहीं आया ? कहीं फरार तो नहीं हो गया है ?
डाकू और राष्ट्रपति दोनों के आसपास पुलिस रहती है । डाकू के पीछे इसलिए रहती है कि कहीं भाग न जाय और राष्ट्रपति के आगे इसलिए कि उसकी सुरक्षा की जाय, सेवा की जाय । ठीक उसी प्रकार श्रावक और श्रमण दोनों के आसपास कर्म रहते हैं; परन्तु उनमें अन्तर है, श्रावक के प्रागे संसार रहता है और श्रमण के पीछे । वह जलमें कमल के समान संसारमें रहकर भी उससे निर्लिप्त रहता है - उसके प्रति अनासक्त रहता है ।
शुभाशुभ कर्मोकी वेदना तो सबको होती है; परन्तु वेदना यदि हमें वन्दना तक पहुँचा दे तो हमारा उद्धार हो जाय । वेदना से लाभ क्या होता है ? दुख में तो आँसू भी हमारा साथ नहीं देते । वे भी निकल जाते हैं । आँखों से बाहर अँधेरे में हमारी परछाई भी गायब हो जाती है; इसलिए आर्त्तध्यान और रौद्रध्यान से ऊपर उठने का प्रयास कीजिये ।
कुत्ता भले ही एयरकंडीशन्ड कमरे में रहे और सेमसाहब के कर कमलों से दूध - बिस्कुट खाता रहे; परन्तु उसके गले में परतन्त्रता का पट्टा लगा रहता है । इसी प्रकार जीव किसी शरीर में चाहे कितनी भी भौतिक सुविधाओं के बीच रहे, उस पर कर्मराजा की ओर से परतन्त्रता का पट्टा तब तक लगा ही रहता है, जब तक वह संसार में रहता है ।
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