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चार नियमों से ओत प्रोत वंकचूल की कथा बुलाकर समझायें कि तु वंकचूल को कह कि, 'इस समय तू कौए का मांस खा ले, स्वस्थ होने पर प्रायश्चित कर लेना ।' सेवक जिनदास को बुलाने के लिए गया और इधर राजा नियम पर अटल बंकचूल की अडिगता का हृदय से अनुमोदन करता रहा।
राजमहल में आते समय जिनदास ने मार्ग में दो युवतियों को सिसक-सिसक कर रोती देख कर पूछा, 'तुम क्यों रो रही हो?'
वे दोनों योली, 'जिनदास! हम अपने भाग्य को रो रही हैं।' 'क्यों?' जिनदास ने पूछा।
युवतियों ने कहा, 'हम सौधर्म देवलोक की दो देवियाँ हैं । वंकचूल आज इस स्थिति में है कि यदि वह कौए का माँस खाये बिना मर जाये तो सौधर्म देवलोक में देव बने
और हमारा पति यने, परन्तु आप जाकर उसे यदि कौए का माँस खिलायेंगे तो उसे वह गति प्राप्त नहीं होगी और हम भटक जायेगी।
जिनदास वोला, 'तुम निश्चिन्त रहो । मैं 'जिन' का दास उसे व्रतों का पालन करने में सहायता करूँगा, व्रत भंग करने में नहीं।'
देवियाँ प्रसन्न हुई। जिनदास राजमहल में गया । वंकचूल को कौए का माँस खिलाने के लिए चर्चा चल रही थी । इतने में जिनदास ने जाकर राजा को कहा, 'राजन्! नियमों पर अटल वंकचूल को हम उसके नियमों के पालन में वाधा क्यों करें? आज नहीं तो कल भी मरना तो है ही, तो वंकचूल अपने नियमों का पालन करके लोगों में ख्याति प्राप्त करे और जिसका आलम्वन लेकर लोगों का उद्धार हो उस मार्ग पर उसे क्यों न जाने दें? वंकचूल! तुम अपने नियमों पर दृढ़ रहो। तुमने चाहे जितनी चोरी की, चाहे जितनी हिंसा की और आज तक तुमने चाहे जैसे पाप किये, फिर भी गुरु महाराज से लिये हुए साधारण चार नियमों का भी दढ़ता पूर्वक पालन करने से तुमने अपना जीवन धन्य किया है। तुम अपने नियमों पर अटल रहो । योलो वंकचूल! अरिहन्त का शरण, बोलो वंकचूल! उन धर्म-नियम देने वाले गुरु का शरण ।' . वंकचूल की भावना में अत्यन्त वृद्धि हुई। उसने हाथ जोड़े। वह वोला, 'अरिहन्त का शरण, महा उपकारी गुरु भगवन् आपका शरण, और हे प्रभु! आप द्वारा प्रदत्त धर्म का शरण मुझे भव-भव में हो।' यह वोलते-बोलते उसके प्राण पखेरू उड़ गये। राजा, अमात्य, प्रजाजन शोकाकुल हो गये परन्तु वंकचूल मुस्कराता हुआ बारहवें देवलोक में चला गया।
राजमहल में से जिनदास बंकचूल के धन्य जीवन के सम्बन्ध में विचार करता हुआ पुनः लौट रहा था तव वहाँ पुनः दो स्त्रियाँ उसने रोती हुई देखीं।
जिनदास ने कहा, 'देवियो! वंकचूल की मृत्यु हो गई। तुम्हारे कथनानुसार उसने माँस नहीं खाया। वह देवलोक में गया होगा। अव क्यों रो रही हो?'