SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %3-गुरुवाणी: ___ बहुत वर्ष पहले दिल्ली में शंकर जी आए. उन्होंने देखा कि सारा देश मुझे याद करता है, शिवालय में जाता है और रोज सुबह से मेरी पुकार चलती है, शाम तक लोग मुझे पुकारते हैं, मेरी अर्चना और पूजा करते हैं. शंकर जी ने विचार किया कि जा करके उन भक्तों की खबर तो लूं. पार्वती ने कहा प्रभु जरूर चलो. भक्तों की पुकार है, जरा देश में आओ और स्वर्ग से उतरो. मृत्युलोक में क्या चल रहा है, जरा नज़र तो दौड़ाओ. शंकर और पार्वती दोनों जैसे ही दिल्ली बार्डर में प्रवेश हुआ तो सुबह के समय उन्हें एक दरिद्र नारायण नजर आए. बड़ी गरीब स्त्री थी. उसकी दर्दनाक स्थिति देख करके हृदय पिघल जाए, वह अपने पति के साथ आ रही थी. पति भी बेचारा बड़ा दुखी था, वह सब खो चुका था, चेहरा उतरा हुआ था, न जाने कितने दिनों का भूखा होगा. एक छोटी-सी बालिका साथ थी. जैसे ही शंकर जी बार्डर में घुसे, ये तीनों नजर आए. भारत में आते ही यह चीज नजर आती है. गांधी जी ने मरने से पहले कहा था कि यहां की प्रजा का कोई भी व्यक्ति स्वतन्त्रता के बाद नंगा भूखा नहीं रहेगा, देश की स्वतंत्रता के बाद नंगे का मतलब बदमाश, लुच्चे, वे कभी भूखे नहीं रहेंगे. यह आशीर्वाद आज सफल हो रहा है. सज्जन ही मारे जा रहे हैं, नंगे तो आनन्द ले रहे हैं, मजे लूट रहे हैं. यह गांधी जी का कलिकाल को आशीर्वाद है. उन्होंने इसे आजादी के बाद दिया था, या यों कहिए कि अपने मरने से पूर्व दिया था कि आजादी के बाद इस देश में नंगे कोई भूखे नहीं मरेंगे. सज्जन ही भूखे मरेंगे क्योंकि कलियुग है. हालत वही हुई. तीनों दरिद्र नारायण मिले. पार्वती ने देख करके कहा कि आप सारे जगत को वरदान देते हैं. इनको भी दें. शंकर ने अपनी योग दृष्टि से देख करके कहा-इसके भाग्य में नहीं, प्रारब्ध में नहीं, किसके घर का ला करके वरदान दूं, पर स्त्री का हठाग्रह आप जानते हैं. मेरा आदेश तो होता है, पर पत्नी का अध्यादेश होता है. मैं यहां पर यदि कहूं कि शुभ कार्य है, करने जैसा है, परोपकार हो जाएगा. हां-हां विचारेंगे, सोचेंगे. यदि थोड़ा बहुत कम ज्यादा हो तो उसमें लाभ ले लेंगे. परन्तु यदि चांदनी चौक से निकलें और कोई आभूषण नजर आ जाये, या बनारसी साड़ी नजर आ जाये, चाहे दस हजार की हो, और आदेश मिले कि लेना है तो उधार ला करके भी देंगे. यह एक सहज बात है. जहां राग है, वहां अर्पण होगा. अभी वह धर्म का राग प्रगट नहीं हआ इसीलिए अर्पण में रुकावट आती है. स्त्री का राग, पुत्र का राग, परिवार का राग. राग होना चाहिए, परन्तु विकत नहीं सुसंस्कृत राग होना चाहिए. आत्मा का राग होना चाहिए. परिवार के प्रति भी आत्मानुराग होना चाहिए. पार्वती का आग्रह था कि नहीं! नहीं! तुम्हारी और बात सुनने को मैं कदापि तैयार नहीं. इसको वरदान मिलने ही चाहिए. तीन हैं, तीनों को तीन वरदान दीजिए. शंकर जी ने देखा कि पार्वती मानने वाली नहीं हैं, स्त्रियों का हठ. शंकर ने कहा अच्छा कहती हो तो बुलाओ, तीनों को तीन वरदान दे देता हं. - - - 58 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy