________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - गुरुवाणी धर्मफल विशेष देशना विधि - परमस्वास्थ्यहेतुत्वात् परमार्थतः स्वास्थ्यमेवेति // 48 // (526) उत्कृष्ट स्वस्थता का कारण होने से उत्सुकता रहित प्रवृत्ति ही स्वस्थता है. भावसारे हि प्रवृत्त्यपप्रवृत्ती सर्वत्र प्रधानो व्यवहार इति // 46 // (530) भावसहित प्रवृत्ति निवृत्ति ही वस्तुतः प्रवृत्ति निवृत्ति है ऐसा सब जगह मुख्य व्यवहार है. प्रतीतिसिद्धश्चायं सद्योगसचेतसामिति // 50 // (531) सध्यान योगसहित सावधान मनवाले मुनियों को उपरोक्त अनुभव सिद्ध है. सुस्वास्थ्यं च परमानन्द इति // 51 // (532) अतिशय स्वस्थता ही परम आनंद है. तदन्यनिरपेक्षत्वादिति // 52 // (533) आत्मा को अन्य वस्तु की अपेक्षा. न रहने से आत्मा का आनंद है. अपेक्षाया दुःखरूपत्वादिति // 53 // (534) अपेक्षा ही दुःखरूप है (अतः निरपेक्षता सुख है). अर्थान्तरप्राप्त्या हि तन्निवृत्तिर्दुःखत्वेनानिवृत्तिरेवेति // 54 // (535) अन्य विषयों की प्राप्ति से इच्छा की निवृत्ति होने पर भी दुःखरूप होने से __ अनिवृत्ति ही है. न चास्यार्थान्तरावाप्तिरिति // 55 // (536) मोक्ष के जीव को अन्य पदार्थ की प्राप्ति नहीं रहती. ह 674 For Private And Personal Use Only