________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी धर्मफल विशेष देशना विधि देवेन्द्रहर्षजननम् // 15 // (466) (तीर्थकरत्व) देवेन्द्र को हर्ष उत्पन्न करने वाला है. तथा-पूजानुग्रहाङ्गतेति // 16 // (467) और पूजा द्वारा जगत् के उपकार का कारण है. तथा-प्रातिहार्योपयोग इति // 17 // (468) और आठ प्रातिहार्यो का उपयोग होता है. ततः परम्परार्थकरणमिति // 18 // (466) और उत्कृष्ट परार्थ करने वाला है. अविच्छेदेन भूयसां मोहान्धकारापनयन हृद्यैर्वचनभानुभिरिति // 16 // (500) यावज्जीव मनोहर वचन किरणों से प्राणियों के मोहान्धकार को नष्ट करते हैं. सूक्ष्मभावप्रतिपत्तिरिति // 20 // (501) सूक्ष्म भाव का ज्ञान होता है. तत- श्रद्धामृतास्वादनमिति // 21 // (502) और श्रद्धामृत का आस्वादन होता है. ततः सदनुष्ठानयोग इति // 22 // (503) तब अनुष्ठान का संबंध होता है. 670 For Private And Personal Use Only