________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % -गुरुवाणी धर्मफल देशना विधि एवं परिणाम एव शुभो मोक्षकारणमपीति॥३४॥ (477) ऐसे ही शुभ परिणाम मोक्ष का कारण है. तदभावे समग्रक्रियायोगेऽपि मोक्षासिद्धेरिति॥३५॥ (478) शुभ परिणाम के अभाव में संपूर्ण क्रिया का योग होने पर भी मोक्ष __सिद्धि नहीं होती. सर्वजीवानामेवानन्तशो ग्रैवेयकोपपातश्रवणादिति // 36 // (476) सब जीवों को भी अनंत बार ग्रैवेयक में उत्पत्ति हुई है ऐसा सुनते हैं. समग्रक्रियाऽभावे तदनवाप्तेरिति // 37 // (480) समस्त क्रिया के अभाव में नवमे ग्रैवेयक की प्राप्ति नहीं होती. इत्यप्रमादसुखवृद्धया तत्काष्ठासिद्धौ निर्वाणावाप्तिरितीति॥३८॥ (481) इस प्रकार अप्रमाद सुख की वृद्धि से चारित्र धर्म की बडी सिद्धि होने पर मोक्ष प्राप्ति होती है. यत् किश्चन शुभं लोके, स्थानं तत् सर्वमेव हि। अनुबन्धगुणोपेतं, धर्मादाप्नोति मानवः // 40 // इस लोक में जो कोई शुभ स्थान कहलाते हैं वे सब उत्तरोत्तर शुभ गुण सहित मनुष्य धर्मद्वारा प्राप्त करता है. - - 665 For Private And Personal Use Only