________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % 3Dगुरुवाणी धर्मफल देशना विधि 4OE धर्मचिन्तामणिः श्रेष्ठो, धर्मः कल्याणमुत्तमम्। हित एकान्ततो धर्मो, धर्म एवामृतं परम् // 41 // और धर्म श्रेष्ठ चिंतामणि रत्न के समान है, धर्म उत्तम कल्याणकारी है, धर्म एकान्त हितकारी है और धर्म ही परम अमृत है. चतुर्दशमहारत्नसद्भोगान्तृष्वनुत्तमम् / चक्रवर्ति पदं प्रोक्तं, धर्महेलाविजृम्भितम् // 42 // चौदह महारत्नों के भोग से मनुष्यों में उत्तमोत्तम गिना जानेवाला चक्रवर्ती का पद भी धर्म की लीला का विलास मात्र है. 666 For Private And Personal Use Only