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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी धर्मफल देशना विधि देश तथा-तच्च्युतावति विशिष्टे देशे विशिष्ट एव काले स्फीते महाकुले निष्कलङ्केऽन्वयेन उदग्रे सदाचारेण आख्यायिकापुरुषयुक्ते अनेकमनोरथापूरकमत्यन्तनिरवद्यं जन्मेति // 6 // (452) और देवलोक से च्यवन होने के बाद भी अच्छे देश में, अच्छे काल में, प्रसिद्ध महाकुल में, वंश में कलंकरहित, सदाचार से बड़ा, और जिसके बारे में कथा-वार्ता लिखी जावे ऐसे पुरुषयुक्त महाकुल में, अनेक मनोरथों को पूर्ण करनेवाला ऐसा अत्यन्त दोष रहित जन्म होता है. सुन्दरं रूपं आलयो लक्षणानां रहितमामयेन युक्त प्रज्ञया संगतकलाकलापेन||१०॥ (453) सुन्दर रूप व लक्षणों सहित, रोग रहित, बुद्धियुक्त और कलाकलाप सहित (जन्म होता है). तथा-गुणपक्षपातः, असदाचारभीरुता, कल्याणमित्रयोगः सत्कथाश्रवणं, मार्गानुगोबोधः, सर्वोचितप्राप्तिः हिताय सत्त्वसंघातस्य, परितोषकारी गुरूणां संवर्द्धनो गुणान्तरस्य निदर्शनं जनानां, अत्युदार आशयः, असाधारणविषयाः, रहिताः संक्लेशेन अपरोपतापिनः, अमङ्गुलावसानाः // 11 // (454) और मनुष्य जन्म में उसे गुण के पक्षपात, असदाचार से डर, पवित्र बुद्धि देनेवाले मित्र की प्राप्ति, अच्छी कथाओं का श्रवण, मार्ग को अनुकरण करने का बोध, सब जगह (धर्म, अर्थ व काम में) उचित वस्तु की प्राप्ति होती है। वह उचित वस्त की प्राप्ति प्राणी मात्र के हित के लिये गरुजनों को संतोष देने के लिये, दूसरे गुणों को बढानेवाली और अन्य लोगों के लिये द्दष्टांत लायक होती हैं. वह बहुत उदार आशयवाला होता है और उसे असाधारण विषयों की प्राप्ति होती है, जो क्लेशरहित, दूसरों को कष्ट न देने वाले और परिणाम से सुंदर होते हैं. 661 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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