________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी यतिधर्म देशना विधि तथा-सदाऽप्रमत्ततेति // 67 // (365) और निरंतर प्रमाद रहित रहना चाहिये. तथा-ध्यानैकतानत्वमिति // 68 // (366) और ध्यान में एकाग्रता रखनी चाहिये. सम्यग्यतित्वमाराध्य, महात्मानो यथोदितम् / संप्राप्नुवन्ति कल्याणमिहलोके परत्र च // 28 // महात्मा लोग उपरोक्त यतिधर्म को द्रव्य व भाव से सम्यक प्रकार से आराधना करके इस लोक में तथा परलोक में कल्याण को प्राप्त होते हैं. क्षीराश्रवादिलब्ध्योघमासाद्य परमाक्षयम् / कुर्वन्ति भव्यसत्त्वानामुपकारमनुत्तमम् // 26 // वे महात्मा क्षीराश्रव आदि उत्तम तथा अक्षय लब्धि पाकर भव्य प्राणियों पर अति उत्तम उपकार करते हैं. मुच्यन्ते चाशु संसारादत्यन्तमसमञ्जसात् / जन्म-मृत्यु-जरा-व्याधि-रोग-शोकाधुपद्रुतात् // 30 // वे महापुरुष जन्म, मृत्यु, जरा, व्याधि, रोग, शोक आदि उपद्रवयुक्त अत्यंत अयोग्य ऐसे इस संसार से तुरंत मुक्ति प्राप्त करते है. 646 For Private And Personal Use Only