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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गुरुवाणी ही चले जाएं. इंजेक्शन लेते चले जायें, रोज़ केप्सूल लेते रहें और कहें कि हलवा-पूरी भी चाहिए, इसके बिना तो मैं भोजन नहीं करता तो कैसे आरोग्य मिलेगा ? पथ्य के साथ औषधि का सेवन हो तो शरीर को आरोग्य मिलता है. यहां आचार का पथ्य पाले बिना यदि मैं रोज़ विचार का मेडिसन आपको दूं, रोज आपको आराधना की टेबलेट दूं. आप एक घण्टा ये टेबलेट लें परन्तु पथ्य नहीं पालें तो मेरी दवा क्या काम करेगी. और यह तो आप जानते हैं आउटडोर पेशेंट ट्रीटमेंट के लिए आते हैं. आरोग्य की चिन्ता के लिए आते हैं, मानसिक शांति मिले, समाधि मिले. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सारे जगत् के अन्दर, हर व्यक्ति मानसिक अशान्ति से पीड़ित है. किसी व्यक्ति के चेहरे पर प्रसन्नता नहीं मिलेगी और जो मिलती है, वह कृत्रिम है आर्टिफिशियल है. अन्दर तो रो रहे हैं और दिखावे के लिए हंसना पड़ता है. मजबूरी है आप यह सब स्वीकार करेंगे. आपको सच बात स्वीकार करनी पड़ेगी और वह परिस्थिति ऐसी होगी कि आप स्वीकार लेंगे. हाँ तो मेरा तात्पर्य था कि छः मास तक रात्रि भोजन का त्याग करें. नवकार महामन्त्र की आराधना करें, जिस महामन्त्र के प्रभाव से सुदर्शन के यहां देवता नौकर बनकर के आए. आप भूल गए. इस भौतिक तंत्र-मंत्र में कुछ नहीं धरा है. मन को शान्त करने का यह एक प्रलोभन है. इसमें कुछ नहीं है " देयर इज़ नथिंग ". आप उस चक्कर में न पड़े. "नमस्कार महामंत्र" के अलावा आज तक कभी मैंने अपनी जीभ को गन्दा नहीं किया जो परमात्मा के लिए जीभ समर्पित कर दिया. जिस जीभ से अमृत उत्पन्न होता हो, अरिहन्त का स्मरण होता है, उसमें गटर (नाली) का पानी कैसे डाला जाए ? एक बार सेठ चन्दूलाल दिल्ली से बम्बई गए. गणपति पूजा चल रही थी और वहां जाकर गणपति जी के कान में प्रार्थना कर दी कि मेरी एक कामना है, अगर पूर्ण हो जाए तो सवा क्विंटल का लड्डू लाकर आपको चढ़ा जाऊं. गणपति को मोदक प्रिय है. एक मारुति गाड़ी यदि मुझे मिल जाय तो यह ट्रेन टेक्सी में आना-जाना मेरा मिट जाय. रोज मौत को हथेली में लेकर के चलना पड़ता है. भगवन्! बस एक कृपा हो जाए, और कुछ नहीं चाहिए. एक मारुति कार अगर मिल जाये तो सवा क्विंटल का लड्डू चढ़ाऊं गणेशचतुर्थी का और आपका यह महोत्सव भी मैं करूं. गणेशजी को बड़ा गुस्सा आया. गणपति ने उठाकर एक सूंढ़ लगाई और कहा कि बेवकूफ. मुझे मूर्ख बनाने आया है! तेरे में इतनी अकल नहीं. अगर तुझे मैं मारुति दे सकता तो मैं चूहे पर सवारी क्यों करता ? मेरा वाहन चूहा है. बिना प्रारब्ध के जगत् में कुछ मिलता ही नहीं भगवान रामचन्द्रजी जैसे को वनवास जाना पड़ा. वशिष्ठ ऋषि ने "कमर्णो हि प्रधानत्वं किं कुर्वन्ति शुभग्रहाः ।" 38 For Private And Personal Use Only खुलकर के कहा: da घ
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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