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%Dगुरुवाणी
__यहां तो कर्म की प्रधानता है. क्या मिलेगा. महावीर परमात्मा का अनन्त पुण्योदय था. फिर भी साढ़े बारह वर्ष तक उनको कष्ट सहन करना पड़ा. कान में कील ठोक दिया गया. उस समय किसी देवता ने आकर बचाया?
श्री रामचन्द्र जी को वनवास में किसी देवता ने आकर कोई सुख-सुविधा पूछी कि सीता को मैं जाकर ले आता हूं --- सारी व्यवस्था हो जाएगी. कृष्ण की द्वारिका जलकर राख हो गई. कोई देवता बचाने वाला नहीं मिला.
आप ऐसे पुण्यशाली हैं कि - सवा किलो प्रसाद, सिन्दूर और तेल चढ़ा दें देवता आपकी सेवा में आकर हाजिर हो जाएं. उस कल्पना में आप मत रहना. गांठ का पैसा भी जाएगा और कुछ नहीं मिलेगा. भूत प्रेत भी आ जाए, तो भी धन्यवाद दो – वे भी इस काल में नहीं आते. वे भी आपसे डरते हैं. ऐसा हमारा जीवन बन चुका है. इस तंत्र-मंत्र में आप कहां तक पड़ेंगे? कभी इस विषय में अपनी श्रद्धा को कहीं आप मलिन न बना लें.
सुदर्शन सेठ की वह साधना थी. ऐसा भयंकर आरोप लगाया गया कि इनाम में मौत मिली. धर्म करने वाले को मौत की कैसी कसौटी पर उतरना पड़ा. उस पुण्यशाली ने पेपर कैसा लिखा. हमें लोग कई बार कहते हैं कि महाराज! धर्म किया और धाड़ पड़ी. तो मैंने कहा जहा पैसा होगा, वहीं डाकू आएंगे. जहां पुण्य होगा वहीं कर्म कसौटी करने आएगा. दूसरे को कौन लूटेंगे. जिसके पास लंगोटी भी नहीं, उसे कौन लूटेगा? __आप याद रखिए, ऐसी परिस्थिति के अन्दर यदि आपके चित्त का संतुलन रहता है आप धन्यवाद के पात्र हैं. ऐसे भयंकर समय पर अरिहन्त का स्मरण करके और उस व्यक्ति ने “नमस्कार-महामंत्र” की जो साधना की उसके उस शब्द के कम्पन, वायबरेशन ने देवताओं का आसन चलायमान कर दिया, हिला दिया. उनका उपयोग वहां पर गया, क्या कारण? मुझे कौन याद कर रहा है - जरा भी दीन बन कर के नहीं. सुदर्शन सेठ तो धन्यवाद देता है अभयारानी को जिसकी कृपा से इनाम में यह मौत मिली. परमात्मा का स्मरण करके मुझे मृत्यु का आलिंगन करना होगा. मैं अपनी मृत्यु का महोत्सव मना रहा है क्या पता सोते हए मर जाता. बीमारी में मर जाता. दर्घटना में मर जाता. कौन वहां भगवान् का नाम लेने आता. जागृत अवस्था में मृत्यु मिल रही है और यह महारानी की कृपा है.
परमात्मा अरिहन्त का स्मरण करते समय मृत्यु मिले, इससे अधिक और क्या चाहिए. यह तो पुण्योदय है. वह वाइबरेशन (कम्पन) कैसा? "नवकार" का स्मरण कैसा?
___ “अरिहन्ते शरणं पवज्जामि" देवता नौकर बन कर के सेवा में बिना बुलाए आये ऐसे पुण्यशाली की सेवा करूं, मेरा जीवन धन्य बने. आप भी अपना जीवन ऐसा बनाइए कि किसी देवी-देवता को बुलाना न पड़े, आपके नौकर बन कर के सेवा में स्वयं आएं. आपका अपना जीवन ऐसा बना
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