________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % 3Dगुरुवाणी यतिधर्म देशना विधि श्र विभूषापरिवर्जनमिति // 48 // (317) श्रृंगार का त्याग करना चाहिये. तथा-तत्त्वाभिनिवेश इति // 46 // (318) सम्यक दर्शन, ज्ञान एवं चारित्र की पुष्टि करने वाली सभी क्रियाओं के प्रति मन से भाव व आदर रखना चाहिये. तथा-युक्तोपधिधारणमिति // 50 // (316) और योग्य सामग्री रखनी एवं धारण करनी चाहिये. तथा-मूर्खात्याग इति // 51 // (320) सामग्री कम होने पर उसमें ममत्व नहीं रखना चाहिये. तथा-अप्रतिबद्धविहरणमिति // 52 // (321) और प्रतिबंधभाव रहित ममत्व रहित भावना से विहार करना चाहिये. तथा-परकृतबिलवास इति॥ 54 // (322) देवेन्द्र, राजा, गृहपति, शव्यातर एवं सधार्मिक इन पांचों की अनुज्ञा से शुद्धि करके निवास करना चाहिये. मासादिकल्प इति // 55 // (323) मास आदि कल्प के अनुसार विहार करना चाहिये. एकत्रैव तक्रियेति // 56 // (324) एक ही क्षेत्र में मासकल्प आदि करना चाहिये. - P SaU 640 For Private And Personal Use Only