________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %Dगुरुवाणी यतिधर्म देशना विधि तथा-उपयोगप्रधानतेति // 25 // (264) और उपयोग की प्रधानता रखनी चाहिये. तथा-निश्चितहितोक्तिरिति // 26 // (265) और निश्चित किया हुआ हित वचन बोलना चाहिये. तथा-प्रतिपन्नानुपेक्षेति // 27 // (266) अंगीकृत सदाचार की उपेक्षा न नहीं करनी चाहिये तथा-असत्प्रलापाश्रुतिरिति // 28 // (267) असत् (दुष्ट) पुरुषों के वचन नहीं सुनने चाहिये. तथा-अभिनिवेशत्याग इति // 26 // (268) सभी कार्यों में मिथ्या आग्रह का त्याग करना चाहिये. तथा-अनुचिताग्रहणमिति // 30 // (266) साधु के आचरण के प्रतिकूल वस्तु को ग्रहण नहीं करना चाहिये. तथा-उचिते अनुज्ञापनेति // 31 // (300) और योग्य वस्तु के ग्रहण में गुरु की आज्ञा लेनी चाहिये. तथा-निमित्तोपयोग इति // 32 // (301) आहार से पूर्व शकुन आदि निमित्त का विचार करना चाहिये. 637 For Private And Personal Use Only