________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - गुरुवाणी यतिधर्म देशना विधि तथा-आरम्भत्याग इति॥ (278) जिन कार्यों से छ काय में से किसी भी काय के जीव की विराधना हो उनका त्याग करना चाहिये. पृथिव्याद्यसंघट्टनमिति // 10 // (276) पृथ्वीकाय जीवों का आदि का स्पर्श नहीं करना चाहिये. तथा-त्रिधेर्याशुद्धिः // 11 // (280) तीनों दिशाओं (उपर, नीचे या तिरछा) में से आते नाते भली प्रकार से चलो कि किसी जीव की बिराधना न हो. तथा-भिक्षाभोजनमिति // 12 // (281) और भिक्षा मांगकर भोजन करना चाहिये. तथा-आघाताद्यदृष्टिरिति // 13 // (282) जहां जीव हिंसा आदि हो, साधु उसे न देखे. तथा-तत्कथाऽश्रवणमिति // 14 // (283) और ऐसे स्थानों की बात भी न सुनें // 14 // तथा-अरक्तद्विष्टतेति // 15 // (284) और राग-द्वेष का त्याग करना चाहिये. तथा-ग्लानादिप्रतिपत्तिरिति // 16 // (285) और बीमार आदि की सेवा करनी चाहिये. 635 For Private And Personal Use Only