________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी यतिधर्म देशना विधि तत्र सापेक्षयतिधर्म इति // 2 // (271) उसमें सापेक्ष यतिधर्म का वर्णन पहले करते हैं. यथा-गुर्वन्तेवासितेति // 3 // (272) गुरु के पास शिष्यभाव से रहना चाहिये. तथा-तद्भक्तिबहुमानाविति // 4 // (273) और गुरु की भक्ति तथा बहुमान करना चाहिये. तथा-सदाज्ञाकरणमिति॥५॥ (274) निरंतर गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिये. तथा-विधिना प्रवृत्तिरिति // 6 // (275) और विधिवत् आचार आदि का पालन करना चाहिये. तथा-आत्मानुग्रहचिन्तनमिति // 7 // (276) गुरु द्वारा अपने पर किये उपकार का चिंतन करना चाहिये. तथा-व्रतपरिणामरक्षेति // 8 // (277) चरित्र पालन में आने वाले उपसर्गों से नहीं डरना चाहिये एवं परीषहों को सहन कर यथोचित रीति से दूर करना चाहिये एवं व्रत के परिणाम की रक्षा करनी चाहिये. - 634 For Private And Personal Use Only