________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %3-गुरुवाणी यति सामान्य देशना विधि ग्लानौषधादिज्ञातात् त्याग इति // 31 // (257) ग्लान औषधि के दृष्टांत से त्याग करे. तथा-गुरुनिवेदनमिति // 32 // (258) दीक्षा लेने वाला गुरु से सर्व बातों का निवेदन करे गुरू को ही सर्वस्व समझे. अनुग्रहधियाऽभ्युपगम इति // 33 // (256) गुरू शिष्य पर अनुग्रह करने की बुद्धि से सम्यक्त्व आदि गुणों की वृद्धि से उसे शिष्य रूप में साधु बनाकर अंगीकार करें. तथा-निमित्तपरीक्षेति // 34 // (260) निमित्त शास्त्र से उसकी परीक्षा करे करनी चाहिये. तथा-उचितकालापेक्षणमिति // 35 // (261) दीक्षा देने के योग्य काल की अपेक्षा रखनी चाहिये. तथा-उपायतः कायपालनमिति // 36 // (262) पृथ्वीकाय आदि का रक्षण हो, इस प्रकार का निर्दोष अनुष्ठान का अभ्यास करना चाहिये. तथा-भववृद्धिकरणमिति // 37 // (263) दीक्षा का फल बताने से दीक्षा लेने के भाव की वृद्धि होती है. 630 For Private And Personal Use Only