________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %=गुरुवाणी -गुरुवाणी यति सामान्य देशना विधि तथा-गुरुजनाद्यनुज्ञेति // 23 // (246) दीक्षा ग्रहण करने वाले को माता-पितादि गुरुजनों की आज्ञा लेना चाहिये. तथा-तथोपधायोग इति॥२४॥ (250) तथा संबंधीवर्ग दीक्षा ग्रहण करने की आज्ञा देवें ऐसी युक्ति करना चाहिये. दुःस्वप्नादिकथनमिति // 25 // (251) दुःस्वप्न आदि कहें. तथा-विपर्ययलिङ्गसेवेति॥२६॥ (252) अपने प्रकृति के और विपरीत चिन्ह प्रदर्शित करें. दैवज्ञैस्तथा तथा निवेदनमिति॥२७॥ (253) ज्योतिषी लोगों से उस उस प्रकार कहलावे. न धर्मे मायेति // 28 // (254) धर्म की साधन करने में जो क्रिया की जाती है वह माया नहीं है. उभयहितमेतदिति // 26 // (255) यह स्व एक, पर दोनों के हित के लिये हैं. यथाशक्ति सौविहित्यापादनमिति॥३०॥ (256) यथाशक्ति माता-पितादि के निर्वाह आदि का उपाय करना चाहिये. 629 For Private And Personal Use Only