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-गुरुवाणी
में उसको गर्मी मिलनी चाहिए, पिसना चाहिए चक्की में अधिक मात्रा में गर्मी मिल जाती है. वहां पर अनाज की शुद्धि भी कहां रही. कसाई के घर का भी अनाज़ आया, वेश्या के घर का भी अनाज़ आया. न जाने कैसे-कैसे घरों का अनाज उसमें आया - और सब उसके साथ ही - आपका भी पीसा गया. सब कुछ पेट में गया.
वहां कहां परिमार्जना की जाएगी. कीड़े हों, मकोड़े हों, तिलचट्टे हों, जो भी आएं वे सब साफ - वह सारा विटामिन्स उसमें आता है.
घर के अन्दर श्रमपूर्वक पीसा जाता था. शुद्ध मिलता था, सात्विक मिलता था. उस आहार में माधुर्य मिलता था, उस रोटी के अन्दर मिठास मिलती थी. उसमें घर का, परिवार का वात्सल्य मिलता था. मां के हाथ की बनाई हुई चीज़ यदि आप खाएं तो तृप्ति मिलेगी, उसमें जो वात्सल्य है, वह वात्सल्य आप कहां से लाएंगे?
घर के अन्दर रसोई करने वाला ठाकुर हो, रसोइया हो. उसको तो पैसे से मतलब. सेठ या सेठानी आए, उसने तो परोसा और रख दिया.
उस भोजन में कहां से वह प्रेम मिलेगा? न आनन्द मिलेगा और न ही वह तृप्ति.
मैने एक बार यह कहा था कि बच्चे नौकरों को लोग सौंप देते हैं जिससे उनके संस्कार भी उसी प्रकार बिगड जाते हैं.
अपनी देखी हुई घटना से आपको अवगत करा रहा हूँ कि एक बार मरीनड्राइव बम्बई में किसी सेठानी के बंगले पर जाना था. देखा कि मेमसाहब गोद में कुत्ते को लिए जा रही हैं और उनके पीछे उनकी दाई बच्चे को लिए हए थी. कितनी नकल हमारे यहाँ के लोग पश्चिमी संस्कृति की कर रहे हैं, बिल्कुल अन्धे तौर पर.
मैंने कहा, वाह! कुत्ता मेमसाहब के हाथ में और बालक आया के हाथ. मुझे तब मालूम पड़ा जब वह बालक रोया. तब जाकर के उनको अक्ल आयी फिर बच्चा हाथ में लिया और कुत्ता आया को दिया. रोना बन्द हो गया. मैंने कहा देखो - यह समय की बलिहारी. उस बालक में संस्कार कहां से आएगा. अपना संस्कार तो आने से रहा, उन नौकरों का संस्कार आएगा. बाहर के वीभत्स संस्कार आएंगे. यह हमारी दशा है.
दशा क्या, यह दुर्दशा है. आज अपने घरों में भी इसका प्रवेश हो गया है. काम करने में शर्म आती है. घर के अन्दर रसोई बनाये तो रसोइया, परसे तो रसोइया – सब काम उनके हाथ से ही होता है, एक सेठ साहब थे. बड़े सम्पन्न थे. नौकर से कह दिया सुबह गाड़ी तैयार कर देना. चार बजे उठ गए. नहाए-धोए और बाथरूम से आए और कहा कि चाय बना दो.
उस नौकर को क्या मतलब कि बर्तन झांक कर के देखे - बम्बई में तिलचट्टे इतने होते हैं कि बर्तनों में घुस जाते हैं. हम लोग भी वहां रहते हैं तो सामान के अन्दर भी घुस जाते हैं, वहां पर उस व्यक्ति ने चाय बनाने के लिए गैस का उपयोग किया, चूल्हे पर केतली रख दी, पानी डाला, चाय डाला और मिल्क पाउडर डाला क्योंकि सब रेडीमेड
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