________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % 3 Dगरुवाणी गृहस्थ देशना विधि तच्छुद्धौ हि तत्साफल्यमिति ||41 // (66) तापशुद्धि होने से ही कषशुद्धि व छेदशुद्धि की सफलता है फलवन्तौ च वास्तवाविति // 42 // (100) वे दोनों फलवान हों तभी वास्तविक (सत्य) है. अन्यथा याचितकमण्डनमिति // 43 // (101) नहीं तो वे मांगे हुए आभूषणों की तरह हैं. नातत्त्ववेदिवादः सम्यग्वाद इति // 44 // (102) जो तत्ववेत्ता नहीं उसका वाद (धर्म) सम्यग्वाद नहीं. बन्धमोक्षोपपत्तितस्तच्छुद्धिरिति // 45 // (103) बन्ध और मोक्ष की सिद्धि से सम्यग्वाद की शुद्धि जानना इयं बध्यमानबन्धनभाव इति // 46 // (104) इस (बंध) मोक्ष की युक्ति का आधार बंधने वाले जीव और बन्धन पर है. कल्पनामात्रमन्यथेति // 47 // (105) अन्यथा यह युक्ति कल्पना मात्र है. बध्यमान आत्मा बन्धन वस्तुसत् कर्मेति // 48 // (106) बंधनेवाला आत्मा और बांधनेवाले विद्यमान कर्म हैं. 605 For Private And Personal Use Only